पिछले एक सप्ताह से इनेलो में आए दिन उठापटक हो रही है। इस उठापटक के बीच पार्टी के साथ दशकों से जुड़े कार्यकर्ता व जिला स्तरीय नेता अपने घर बैठ गए हैं। यह पार्टी के लिए घातक संकेत है। इनेलो में यह लड़ाई पिछले कई वर्षों से चल रही है। जिसका केंद्र बिंदु अजय सिंह चौटाला व अभय सिंह चौटाला ही रहे हैं। जब तक ओम प्रकाश चौटाला जेल में नहीं गए थे तब तक उन्होंने इस विवाद को बाहर नहीं आने दिया। अब इस लड़ाई का मोहरा दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला बने तो समूची पार्टी की साख दाव पर लग गई है।
इनेलो से जुड़े कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस समय पार्टी बुरे दौर से गुजर रही है। पिछले चौदह साल से राजनीतिक बनवास भोग रही पार्टी को एकजुट होकर विपक्ष का मुकाबला करना चाहिए था लेकिन अपनी फूट से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है। वर्तमान हालातों में पार्टी के नेतृत्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती कार्यकर्ताओं को पार्टी के झंडे तले एकजुट रखना होगा।
क्योंकि इस उठापटक के बाद प्रदेश में सक्रिय कांग्रेस, भाजपा व आम आदमी पार्टी ने इनेलो के पुराने व संगठन के प्रति वचनबद्ध रहे कार्यकर्ताओं व नेताओं पर नजर डालनी शुरू कर दी है। ऐसे में इनेलो कार्यकर्ता अपने लिए सुरक्षित राजनीतिक ठिकाना तलाशने की कवायद में लग गए हैं। जिसका खामियाजा पार्टी को आने वाले चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।