केंद्र सरकार ने रिटेल मार्केट में सिंगल ब्रांड को 100 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी देने का विरोध शुरू हो गया है। व्यापार मंडल के पदाधिकारी लामबंद होकर सड़क पर उतर आए और पीएम मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान व्यापारियों ने हाथ पर कटोरा लेकर राहगीरों से भीख भी मांगी। व्यापारी नेता ज्ञानेंद्र मिश्रा ने कहा कि जब भाजपा विपक्ष में थी तब उसने एफडीआई का विरोध कर भारत बंद करवाया था। जनता ने केंद्र में भाजपा की सरकार बनवा दी तो उन्होंने व्यापारियों के साथ सबसे ज्यादा उत्पीड़न किया। पीएम मोदी ने एक साल पहले नोटबंदी कर व्यापारियों की कमर तोड दी थी, फिर जीएसटी लाकर सड़क पर ला दिया और अब एफडीआई के जरिए वह हमें श्मशान भिजवाने की तैयारी कर रही है। ज्ञानेंद्र मिश्रा ने बताया कि इससे उनकी कमर टूट जायेगी और व्यापार चौपट हो जायेगा। रोज मर्रा के सामान आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाएंगी। हमारी मांग की है कि एफडीआई को लागू ना किया जाय और विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार से दूर रखा जाए।
अपनी ही बात भूल गए पीएम
व्यापारियों का कहना है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसी तरह हमारे देश में दाखिल हुई और पूरे कारोबार पर अपना कब्जा जमा लिया। पीएम मोदी अक्सर मेक-इन-इंडिया की बात करते हैं, लेकिन साथ-साथ एफडीआई लाकर लोगों के साथ धोखा कर रहे हैं। ज्ञानेंद्र मिश्रा का कहना है कि मोदी सरकार लगातार देश के व्यापारियों के प्रति कठोर रवैया अपना रही है। बात चाहे जीएसटी की हो या ई-वे बिल की सरकार हर ओर से व्यापारियों को घेरने में जुटी हुई है। हैरानी इस बात की है जब केंद्र में यूपीए सरकार थी और वह 49 प्रतिशत एफडीआई लाई थी तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने यूपीए सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि विदेशियों की सरकार विदेशी कंपनियों के लिए काम कर रही है। अब जब वह प्रधानमंत्री बन गए हैं तो अपनी ही बात को भूल रहे हैं।
व्यापारियों का कहना था कि आपातकाल के दौरान कानपुर में बड़ी मिलों पर ताले पड़ने का सिलसिला शुरू हुआ और आज के वक्त एक भी बड़ी फैक्ट्री एशिया के मैनचेस्टर पर नहीं बची। खुद बतौर सीएम गुजरात के नरेंद्र मोदी कानपुर आए थे तो उन्होंने मिलों को चालू कराए जाने का ऐलान किया। पौने चार साल में एक मिल नहीं खुली, बावजूद जो चल रही थीं वह भी बंद हो गई। मजदूरों के शहर से मजदर पलायन कर गए। अब नोटबंदी, जीएसटी और एफडीआई के बाद करोबारी भी अपना कारोबार बंद कर दूसरा कोई काम तलाशेंगे। ज्ञानेंद्र मिश्रा ने बताया कि कानपुर में होजरी के साथ छोटे व मझोले व्यापारियों की संख्या अधिक है। रिटेल एफडीआई के चलते देश के छोटे छोटे ब्रांड का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। ताज्जुब इस बात का है कि मेक इन इंडिया का नारा देने वाली मोदी सरकार आखिर क्यों विदेशियों पर मेहरबान होना चाह रही है।