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धन, दौलत, सुंदर जीवनसाथी और यश देता है कुंडली में शुभ शुक्र

जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुक्र को जातक के
जीवन में सौन्दर्य, सुख, समृद्धि, भोग-विलास लाने वाला माना जाता है

Dec 18, 2015 / 11:01 am

सुनील शर्मा

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व्यक्ति की जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शुक्र को जातक के जीवन में सौन्दर्य, सुख, समृद्धि, भोग-विलास लाने वाला माना जाता है। यदि जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह अनुकूल न हो या दुष्ट ग्रहों से पीड़ित हो रहा हो तो व्यक्ति को अपने जीवन में कभी सुख नहीं मिल पाता। यह भी देखा गया है कि शुक्र के बुरे प्रभावों के चलते व्यक्ति गृहस्थ जीवन छोड़ कर सन्यांस लेने की सोचने लगता है।

जन्म कुंडली में शुभ हो शुक्र तो होते हैं ये प्रभाव

(1) शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से प्रभावित व्यक्ति सुंदर, आकर्षक, विनोदप्रिय तथा जिंदादिल रहता है।
(2) शुक्र के शुभ प्रभाव से व्यक्ति की रूचि भोग-विलास, सुख-सुविधा, मनोरंजन आदि में बढ़ जाती है। अक्सर ऐसे लोग इन्हीं क्षेत्रों में अपना कॅरियर भी बनाते देखे गए हैं।
(3) शुक्र ग्रह की अनुकूलता से पति-पत्नी के बीच जीवन भर प्रेम, रोमांस, आकर्षण बना रहता है। पत्नी भी सुंदर और प्रेम करने वाली मिलती है।
(4) शुक्र की शुभ दृष्टि से ही व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है। यदि इसके साथ अन्य शुभ ग्रहों की युति भी मिल जाएं तो व्यक्ति सफलता के चरम शीर्ष पर पहुंच सकता है।

जन्म कुंडली में अशुभ शुक्र से आता है दुर्भाग्य

(1) कुंडली में अशुभ शुक्र के होने पर जातक का जीवन दुर्भाग्य से घिर जाता है। वह दिखने में अनाकर्षक, भद्दा तथा कुरुप लगता है। इसी प्रकार उसमें सौन्दर्य अभिरूचियां भी खत्म हो जाती हैं।
(2) शुक्र की बुरी दृष्टि से पीडित व्यक्ति का भाव संसार के लिए विरक्त जैसा हो जाता है। कभी-कभार सन्यास लेने जैसी प्रबल भावनाएं भी हिलोरे मारने लगती है। यहां तक की भोग-विलास से भी ऊब होने लगती है। परिवार और मित्रों से जुड़ाव कम होना शुरू हो जाता है।
(3) जन्मकुंडली में शुक्र के अशुभ होने पर पति-पत्नी के बीच क्लेश अथवा दूरी बनने के अवसर बढ़ जाते हैं। धन की हानि और रोगों का प्रवेश शुरू हो जाता है।
(4) कुंडली में अशुभ शुक्र के होने पर व्यक्ति शारीरिक तथा वैवाहिक सुख से भी वंचित रहता है। उसे जीवन में कभी सच्चा प्रेम नहीं मिल पाता।

ऐसे प्राप्त करें शुक्र ग्रह की अनुकूलता

जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह की किसी भी तरह की अशुभ स्थिति होने पर शुक्रदेव को प्रसन्न कर ही इन समस्याओं से बचा जा सकता है। इसके लिए जातक को शुक्र का बीज मंत्र “ऊँ शुं शुक्राय नम:” अथवा “ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:” का जाप करना चाहिए।
शुक्र की वक्री दृष्टि से बचने के लिए दान का भी विधान है। शुक्र की वस्तुओं यथा घी, चावल और भौतिक सुख देने वाली वस्तुओं का दान करने से भी फल मिलता है।


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