समिति सदस्यों का कहना
समिति सदस्य श्वेता चौबे और टीके झा ने बताया कि हमारे शहर में यह एक बड़ा केस है, जिसमें कम उम्र के बच्चें को गंभीर बीमारी है। साथ ही इसके माता-पिता की भी मृत्यु हो चुकी है और नाना मानसिक विक्षिप्त है। इसका सही उपचार नहीं हो पाया है। इसलिए समिति ने शिशु गृह और बाल कल्याण संरक्षण में इसे हमीदिया रैफर किया जाएगा। साथ ही इन एचआईवी से ग्रसित बच्चों को सरंक्षित करने में थोड़ी दिक्कत हो रही है। भोपाल की समिति से बात की है। वह यहां विजिट करने आएगे इसके बाद उसे भोपाल में रखा जाएगा।
यह है इस बच्चें की दर्द भरी कहानी 2017 में यानि 3 साल की उम्र से यह बच्चा एचआइवी से ग्रसित है। डॉक्टर का कहना है कि इसके माता-पिता से इसे यह रोग लगा। इसकी एक बड़ी बहन भी जो इटारसी मुस्कान संस्था में रहती है। बच्चा सांगाखेड़ा कला का रहने वाला है। गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और पिता, बुआ इसे इलाज के लिए होशंगाबाद जिला अस्पताल इलाज के लिए लेकर आए। फिर उसे यहां छोड़कर चले गए और शिशु ग्रृह में रखा गया। शिशु ग्रृह की संचालिका द्वारा इसका लगातार कुछ महीनों तक हमीदिया में इलाज चला। जिसके बाद उसे पिता और बुआ उसे लड़कर यहां से ले गए। इसका ध्यान नहीं रखने के कारण बच्चा कमजोर हो गया। बापस फिर इसे शिशु ग्रृह में रखा गया था। सवाल यह है कि एचआइवी के कारण इसे दूसरे बच्चों के साथ नही रखा जा सकता। इसलिए इसे रहने का ठिकाना ही नहीं मिल रहा।
आज जाएगा हमीदिया : बाल कल्याण समिति सदस्य श्वेता चौबे ने बताया कि इस बच्चें का इलाज यहां नही होगा इसका इलाज भोपाल के हमीदियाअस्पताल में कराया जाएगा। इसके लिए इन्हे आदेशित कर दिया है। अब चाइल्ड लाइन और आसरा शिशु ग्रह के लोगो द्वारा भोपाल हमीदिया अस्पताल एड्स उपचार के लिए रैफर किया जा रहा है।
शिशु गृह में रहा था पहले
आसरा शिशु गृ्रह संचालिका अमिता ने बताया कि इसके पहले भी 2017 में बच्चा हमारे संरक्षण में रह चुका है। कुछ महीनों तक हमीदिया में शिशु गृह द्वारा इलाज कराया गया था, लेकिन उसे पिता, फूफा लड़कर यहां से ले गए। फिर बुआ के पास रहने लगा, लेकिन बुआ ने भी रखने से मना कर दिया। इलाज नहीं कराने के कारण इसकी हालत खराब हो गई।
चाइल्ड लाइन ने आठ दिन रखा चाइल्ड लाइन संचालक सुनील दीक्षित ने बताया कि उनके पास आंगनवाडी कार्यकर्ता का 1098 पर कॉल आया। फिर वे बच्चें को लेने सांगाखेड़ा कला गांव लेने पहुंचे। माता-पिता की मृत्यु होने के बाद इसकी देखरेख नाना कर रहे थे। नाना मानसिक विक्षिप्त और दिन भर उसे अकेला छोड़कर चले जाते थे। इसलिए यहां लाया गया। आठ दिन अपने पास रखकर जिला अस्पताल में इलाज कराया। जिला अस्पताल डॉ. ने बताया कि इस बच्चें का इलाज 2018 से चल रहा है, लेकिन कई बार उसे पिता व बुआ लड़कर ले गए थे।
मई 2017में बच्चें का टेस्ट कर उपचार शुरू कर दिया गया था। एचआईवी पॉजिटिव होने के कारण इसे उपचार लगातार मिलना था। बीमारी के कारण इसके पेट फूलना और डायजेस्टिक सिस्टम कमजोर, शरीर का विकास भी रूक गया है। इसे समय प र उपचार देना जरूरी है।
प्रकाश यादव, एड्स परामर्श दाता