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होशंगाबाद

बांस शिल्पकला ने दिलाई महिलाओं को राष्ट्रीय पहचान

उत्सव एवं प्रदर्शनी में प्रदर्शित की जा रही बांस की वस्तुएं

होशंगाबादAug 28, 2018 / 05:48 pm

govind chouhan

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बांस शिल्पकला ने दिलाई महिलाओं को राष्ट्रीय पहचान

होशंगाबाद. इटारसी तहसील का मेहरागांव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। मेहरागांव को प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर बांस शिल्पकला के लिए अलग पहचान मिली है। मेहरागांव को यह पहचान वहां की स्वावलंबी महिलाओं ने अपने बांस शिल्प के अनूठे प्रदर्शन से दिलाई है।
मेहरागांव की आशा खेर, अर्चना, शकुन बाई, ममता रोहरे, आशाबाई, मनुबाई, विनीता भदरेले, रंजीता बघेल, ऊषा मोरे, सरोज बाई, कुसुम मोरे ने बताया कि एक समय था जब उनके लिए दो वक्त की रोटी जुटाना कठिन होता था। लेकिन ग्रामोद्योग एवं हथकरघा विभाग के सहायक संचालक अरुण पाराशर ने महिलाओं को प्रोत्साहित किया और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना तथा मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के तहत सभी महिलाओं को 35-35 हजार रुपये का बैंक ऋण दिलाया। सात ही इन महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया गया। जिसके बाद अब इन महिलाओं ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए बांस की तरह-तरह की टोकरियां, टेबल, कुर्सियां, रैक, सूपा, गुलदस्ता स्टैण्ड, बांस के आकर्षक फोटो फ्रेम, मग एवं अन्य सुंदर कलाकृृतियां बनाई। जिसे बाजार में विक्रय किया गया। जिसके उत्साहजनक नतीजे सामने आए। आज इन महिलाओं के द्वारा बनाई गई बांस शिल्प की वस्तुओं एवं कलाकृतियों की दूर-दूर तक मांग बढ़ गई है। इनके द्वारा बनाए गए सामानों की प्रदर्शनी पचमढी उत्सव, ग्वालियर मेला एवं प्रदेश में अन्य स्थानों पर आयोजित होने वाले बड़े-बड़े आयोजनों में लगाई जाती है।
जीवन स्तर मेंं आया बदलाव
बांस शिल्पकला के काम से जुड़ी सभी महिलाओं ने स्वीकारा है कि इस कार्य से जुडऩे के बाद उनके जीवनस्तर में सुधार तो आया ही है साथ ही उनकी आजीविका का भी एक स्थाई समाधान निकल सका है। आज ये महिलाएं अपने आपको रोजगार से जुड़ी हुई पाकर खुश हैं। उनका कहना है कि अब सरकार ने उन्हें इस कार्य से जोड़कर उनके जीवन स्तर में बदलाव किया है। उन्होंने अन्य महिलाओं को भी इसी तरह के रोजगार अपनाने की सलाह दी है।

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