कायाकल्प अभियान के फाइनल सर्वेक्षण से पहले अस्पताल ने खुद की रैंकिंग की थी। जिसमें अस्पताल प्रबंधन ने खुद को 83.2 प्रतिशत अंक दिए थे और सर्वेक्षण दल ने अस्पताल में गंदगी मिलने पर 13 प्रतिशत अंक काट लिए थे। जिससे प्रदेश स्तरीय रैकिंग में अस्तपाल ३० नंबर पर पहुंच गया।
गंदगी से परेशान आयुष विंग ने टीएल बैठक में पूर्व कलेक्टर शीलेंद्र सिंह से शिकायत कर कचरा कंटेनर को हटवाने की बात कही थी। इससे पहले शिकायत आवेदन भी दिया था। आयुष विंग प्रभारी डॉ. एके पुष्कर ने बताया कि हगीस मवेशी उठाकर अस्पताल के भीतर दरवाजे तक ले आते हैं। गंदगी और बदबू से बैठना मुश्किल हो रहा है। जिला आयुष प्रभारी डॉ. जीआर व्यास ने कहा कि पहले भी इस समस्या का निराकरण करने कलेक्टर से शिकायत की जा चुकी है।
जिला अस्पताल से निकलने वाला बॉयो मेडिकल वेस्ट सामान्य कचरे में फैंका जा रहा है। जिला अस्पताल में आयुष विभाग के पास रखे नपा के डस्टबिन (कंटेनर) में वेस्ट फैंका जा रहा है। जिससे संक्रमण की संभावना बनी है। अस्पताल के आसपास खुले में फैंके जा रहे वेस्ट में मुंह मारने वाले पशुओं पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। सप्ताह में दो दिन सफाई अभियान चलाने के निर्देश के बाद नपा ने २० दिन बाद अभियान शुरू किया था। वह भी एक दिन के लिए, इसके बाद अब तक सफाई अभियान नहीं चलाया गया।
अस्पताल से निकलने वाले लगभग 50 प्रतिशत वेस्ट खतरनाक होते हैं। जिससे जानवरों और इंसानों में कई प्रकार की बीमारियां फैल सकती हैं। इसलिए इन बायो मेडिकल वस्तुओं के रीसाइकल पर जोर दिया जाता है। अस्पताल में प्रतिमाह 1 हजार से अधिक लोगों का उपचार होता है, तो उस अस्पताल को कानून के हिसाब से बायो मेडिकल वेस्ट की विभिन्न श्रेणियों में निपटारा करना होता है।
अस्पताल में बॉयो मेडिकल वेस्ट कलेक्शन के लिए रूम है। खुले में कचरा फैंकना गंभीर बात है। कर्मचारियों को खुले में कचरा नहीं फैंकने की समझाइश देंगे।
डॉ दिनेश कौशल, सीएमएचओ, जिला अस्पताल होशंगाबाद
कचरा के साथ निडिल, सेनेटरी पैड व अस्पताल का वेस्ट खुले में फैंका जाता है। यह कैटेगरी-२ का कचरा है। कलेक्टर के आदेश के बाद अस्पताल में सफाई करवाई थी।
प्रभात सिंह, सीएमओ नगरपालिका, होशंगाबाद