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होशंगाबाद

यहां बुराई स्वरुप जलाए रामरहीम, आशाराम, नारायण सांई सहित अन्य के मुखौटे

सारनी में रावण के दस सिरों पर लगाए थे इनके मुखौटे

होशंगाबादOct 01, 2017 / 12:49 pm

harinath dwivedi

dasahhara puja 2017

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सारनी। शहर के रामरख्याणी स्टेडियम में आयोजित रावण दहन सभी के आकर्षण का केंद्र रहा। सतपुड़ा उत्सव समिति द्वारा आकर्षक लेजर शो प्रस्तुत किया जाएगा। रावण दहन व दशहरा समिति के डीडी देशमुख ने बताया कि 65 फीट ऊंचे रावण के दस सिर पर रामरहीम, आशाराम, नारायण सांई, रामपाल, निर्मल बाबा, राधे मां, हाफिज सइद जैसे आतंकवादी व दुराचारी बाबा के मुखौटे लगाए गए थे। इनका उद्देश्य था कि हमें देश से इन बुराईयों को जलाना है।
दस दिन में तैयार हुआ
65 फीट ऊंचे रावण को बनाने में दस दिन का वक्त लगा है। रावण बनाने में 50 गिले, 200 सूखे बांस, 400 मीटर कपड़ा, 5 किलो कील, 6 किलो सुतली, 20 गुच्छे रस्सी, पेंट समेत अन्य सामग्री लगी है। जिसकी कीमत लगभग 40 हजार रुपए है। वहीं रावण दहन के पूर्व आतिशबाजी और लेजर शो पर तकरीबन 65 हजार रुपए खर्च आया है।
लेजर शो रहा आकर्षण का केंद्र
सारनी में रात 8 बजे रावण दहन स्थल पर पहले लेजर शो का आयोजन किया गया। इसके बाद रंगारंग आतिशबाजी की गई। इसके तुरंत बाद रावण दहाड़ता हुआ मंच पर पहुंचा जहां राम-रावण युद्ब हुआ।
सारनी, पाथाखेड़ा और घोड़ाडोंगरी में अलग-अलग तीन स्थानों पर रावण दहन किए गए।
श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति ने मनाया दशहरा
बैतूल. बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक दशहरा पर्व श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति के तत्वावधान में शनिवार मनाया गया। रावण दहन का आयोजन लालबहादुर शास्त्री स्टेडियम में किया गया। शानदार आतिशबाजी के बाद रावण और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया। हजारों की संख्या में लोग रावण दहन देखने के लिए पहुंचे थे। दशहरा पर्व को देखते हुए पुलिस ने भी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे।
शाम पांच बजे विजय जुलूस गंज स्थित श्रीकृष्ण मंदिर से प्रारंभ हुआ। इस दौरान जुलूस में पंजाबी युवा सेवा समिति व श्री कृष्ण पंजाबी महिला कीर्तन मंडल के सदस्य गरबा-डांडिया करते हुए चल रहे थे। जुलूस ठीक सात बजे स्टेडियम पर पहुंचा। यहां मंच पर राम-रावण युद्ध का मंच और रंगीन आतिशबाजी का प्रदर्शन किया गया। ठीक साढ़े सात बजे भगवान राम ने तीर के प्रहार से ५५ फीट ऊंचेे रावण एवं ५० फीट ऊंचे कुंभकरण के पुतलों का दहन किया। चंद मिनटों में ही दोनों पुतले धूं-धूंकर जल उठे।

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