script9 दिन में डीजल 4.57 रुपए हुआ महंगा, बढ़ते रेट ने बढ़ाई चिंता | Diesel price rises by Rs 4.57 in 9 days, rising rate raises worries | Patrika News
होशंगाबाद

9 दिन में डीजल 4.57 रुपए हुआ महंगा, बढ़ते रेट ने बढ़ाई चिंता

खाद-बीज और डीजल को मिलाकर करीब डेढ़ सौ करोड़ से खर्च करने पर हो पाएगी खरीफ बोवनी

होशंगाबादJun 25, 2020 / 03:01 pm

KRISHNAKANT SHUKLA

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9 दिन में डीजल 4.57 रुपए हुआ महंगा, बढ़ते रेट ने बढ़ाई चिंता

होशंगाबाद. सीजन के वक्त जहां अप्रैल-मई में किसान उपज बेचने परेशान रहे, तो वहीं अब डीजल के बढ़ते हुए दाम ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। बीते 9 दिन में डीजल 4.57 रुपए महंगा हो गया, इससे खरीफ फसलों की बोवनी में डीजल पर जिले के किसानों को 5.11 रोड़ रुपए खर्च करने होंगे। नतीजतन धान, सोयाबीन,मक्का आदि फसलों की बुवाई पर ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ेगे।

डीजल पर अधिक रुपए खर्च करने पड़ेगे
15 जून को जिले में डीजल के दाम 74.15 रुपए प्रति लीटर थे, जो बढ़कर 23 जून को 78.72 रुपए प्रति लीटर हो गए। यानी 9 दिन में करीब 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि जिले में खरीफ सीजन की फसलों की बोवनी होना है, ऐसे समय में रोज महंगा हो रहा डीजल किसानों की परेशानी बन गया है। जिले में इस बार 3 लाख 25 हजार हैक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवनी होना है, इस बोवनी पर जिले में दो बार में करीब 5 करोड़ 11 लाख 68 हजार रुपए का डीजल खर्च होगा। आज के मान से ही देखें तो डीजल के रेट 4.57 रुपए बढऩे डीजल पर अधिक रुपए खर्च करने पड़ेगे।

ऐसे में खेती कैसी बनेगी लाभ का धंधा
फिर सवाल यही है कि डीजल, खाद-बीज के बढ़ते दाम के बीच खेती लाभ का धंधा कैसे बन पाएगी। बाबई के किसान कृष्णकांत पांडे का कहना है कि लॉकडाउन में मंडियां न खुलने से किसानों को उपज बेचने भटकना पड़ा और जरूरत के चलते औने-पौने दाम पर अनाज बेचा। डीजल, खाद-बीज के दाम बढ़ गए, जबकि अनाज के दाम घट रहे हैं। इससे यह समझ नहीं आता है कि खेती कैसे लाभ का धंधा बनेगी। सरकार किसान को आर्थिक पैकेज नहीं बल्कि किसान सरकार को आर्थिक पैकेज दे रहे हैं।

इस बार बोवनी पर खर्च होंगे अधिक रुपए
पिछले सालों में सोयाबीन फसल अतिवर्षा और कीट प्रकोप लगातार खराब हुई है, इससे किसानों को नुकसान हुआ है। इस बार धान की खेती 1 लाख 65 हजार हैक्टेयर, सोयाबीन की 80 हजार हैक्टेयर, मक्का की 65 हजार हैक्टेयर और शेष रकबे में अरहर, उड़द और रामतिल की खेती होना है। खरीफ फसलों के लिए कुल 7 हजार क्विंटल बीज, 90 हजार मीट्रिक टन खाद की जरुरत पड़ेगी। इसमें 37 हजार मीट्रिक टन डीएपी और इतना ही यूरिया खाद लगेगा। जिले में इसका भंडारण हो चुका है। वितरण भी जारी है। अगर डीजल, खाद-बीज को जोड़कर देखे तो जिले में खरीफ फसलों की बोवनी पर करीब डेढ़ सौ करोड़ का खर्च बैठ सकता है।

खास-खास
-3.25 लाख हैक्टेयर में होगी खरीफ फसलों की बोवनी
-5 करोड़ 11 लाख 68 हजार रुपए का डीजल खर्च बैठेगा
-धान की बोवनी 1 लाख 65 हजार हैक्टेयर में होना है
-80 हजार हैक्टेयर में इस बार सोयाबीन की बोवनी होनी है
– मक्का की 65 हजार हैक्टेयर सहित अन्य की खेती होगी

ऐसे समझे डीजल में खर्च का गणित
एक हैक्टेयर जमीन की बोवनी में करीब 7 लीटर डीजल खर्च होता है तो जिले में 3 लाख 25 हजार हैक्टेयर में बोवनी होगी। इसमें बढ़े दामों में डीजल खरीदकर अधिक रुपए खर्च करने होंगे। बोवनी के लिए पंजा और एक बार सीडड्रिल चलानी पड़ती है। इससे दो बार डीजल खर्च होगा।

5552 लाख यूनिट खर्च होगी बिजली
जिले में इस बार के खरीफ सीजन में खेती के लिए 5552 लाख यूनिट बिजली खर्च होने का अनुमान है। किसानों को 6 रुपए यूनिट से बिजली मिलती है।

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