1955 के आसपास देश में औद्योगिक क्रांति के आगमन और मजदूरों के बीच टकराव की स्थिति को लेकर डायरेक्टर बीआर चौपड़ा फिल्म बना रहे थे, इसको लेकर वह अपनी नई फिल्म के लिए लोकेशन भी तलाश कर रहे थे। कहा जाता है कि डायरेक्टर बीआर चौपड़ा ट्रेन से सफर करने के दौरान जब बुदनी स्टेशन से गुजरे तो उनको यह जगह काफी पसंद आई। यह लोकेशन उनकी सभी जरूरतों को पूरा करती थी। लोकेशन को रखने के पीछे उद्देश्य प्राकृतिक वातावरण होना और मजदूर के साथ औद्योगिक क्षेत्र आसानी से उपलब्ध होना है।
दिलीप कुमार , जॉनी बाकर और अभिनेत्री बैजयंती माला की इस फिल्म की शूटिंग बुदनी मेें करीब 8 महिने तक चली। इस दौरान बुदनी स्टेशन, भोपाल रोड, रेस्ट हाऊस सहित आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर सीन शूट किए गए। पूरी शूटिंग के दौरान गानों की शूटिंग हर किसी के आकर्षण का केंद्र रही।
फिल्म रिलीज हुए करीब 60 साल हो चुके हंै, लेकिन शूटिंग का मैन प्लाइंट बुदनी स्टेशन की बिल्डिंग अब तक नहीं बदली है। फिल्म की शूटिंग देखने वाले 80 वर्षीय हैडमास्टर रामलाल अबधिया बताते हैं, कि यह गाने अब भी सदावहार है। हर किसी की जुबान पर हैं। उस दौर में इन गानो को अपनी आंखों से देखा था, और आज भी वह दृश्य सामने आ जाते हैं।