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डोल ग्यारस पर विमान में बैठेंगे भगवान, जानें क्यों मनती हैं डोल ग्यारस

locationहोशंगाबादPublished: Sep 19, 2018 12:05:49 pm

Submitted by:

sandeep nayak

श्री बद्रीनाथ धाम मंदिर में भगवान के श्री विग्रह का विशेष श्रृंगार किया जाएगा

dol gyaras kab hai 2018 and pooja muhurat

डोल ग्यारस पर विमान में बैठेंगे भगवान, जानें क्यों मनती हैं डोल ग्यारस

होशंगाबाद। भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की पदमा एकादशी व्रत, डोल ग्यारस गुरुवार को मनाई जाएगी। इस अवसर पर स्थानीय श्री बद्रीनाथ धाम मंदिर में भगवान के श्री विग्रह का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। भगवान श्री बालकृष्ण को विमान में बिठाकर भ्रमण करेंगे।
यहां घूमेंगे भगवान
विमान में बैठे भगवान इस दौरान घाट पूजन के बाद वापस मंदिर प्रांगण में पहुंचेंगे। नगर के श्री बद्रीनाथ धाम मंदिर श्री राम जानकी मंदिर श्री रणछोड़ मंदिर श्री कनक बिहारी मंदिर श्री राम मंदिर राजघाट श्री सत्यनारायण मंदिर सहित नगर के विभिन्न क्षेत्रों से विमान सेठानी घाट पर पूजन करा कर नगर में भ्रमण करेंगे।
ये है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण के जन्म के पश्चात माता यशोदा घाट पूजन करने जाती हैं इसी उपलक्ष में भगवान के विमान को निकाला जाता है आज ही के दिन भगवान श्री हरि विष्णु शयन काल के दौरान करवट बदलते हैं इसलिए इस एकादशी को पाश्र्व परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं
इसलिए मनाते हैं डोल ग्यारस
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को डोल ग्यारस का उत्सव मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन कृष्ण के जन्म के अठारह दिन बाद यशोदा जी ने उनका जलवा पूजन किया था। उनके सम्पूर्ण कपड़ों का प्रक्षालन किया था उसी के अनुसरण में ये डोल ग्यारस का त्यौहार मनाया जाता है। इसी कारण इस एकादशी को जल झूलनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी में चन्द्रमा अपनी ग्यारह कलाओं में उदित होता है जिस से मन अति चंचल होता है अत: इसे वश में करने के लिए इस पद्मा एकादशी का व्रत रखा जाता है। किवदंती है की इस दिन विष्णु भगवान शयन करते हुए करवट बदलते हैं इस कारण से इस एकादशी को परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है की भगवान विष्णु हर चातुर्मास को अपना बलि को दिया हुआ वचन निभाने के लिए पाताल में निवास करते हैं। इस पद्मा एकादशी को निम्न श्लोक से उनकी पूजन करनी चाहिए।

गणेश स्थापना से शुरूआत
इस त्यौहार की शुरुआत गणेश चतुर्थी पर गणेश स्थापना के साथ ही हो जाती है। श्री गणेश जो बुद्धि के देवता हैं ,प्रथम पूज्य हैं। वो आध्यात्म एवं जीवन के गहरे रहस्यों के अधिष्ठाता हैं। जीवन के प्रबंधन के सूत्राधार श्री गणेश नगर में सर्वत्र व्याप्त हो जाते हैं। नगर का हर बच्चा श्री गणेशमय हो जाता है। घर के चादरों से छोटे -छोटे पंडाल बना कर बच्चे श्री गणेश की मूर्तियों की स्थापना करते हैं तो ऐसा लगता है की जैसे नन्हे -नन्हे पौधे बड़े वृक्ष बनने की तैयारी कर रहे हों। हर बच्चे के आराध्य श्री गणेश हैं जो उन्हें अपने गुणों से आकर्षित करतें हैं उनके सूप जैसे कान जो कचड़े को बाहर फेंक कर सिर्फ सार ही ग्रहण करतें हैं। सूक्ष्म आँखे जो आपके अंतर्मन को पढ़ लेती हैं ,उनकी सूँड़ दूरदर्शिता की परिचायक है। श्री गणेश का उदर विशाल हृदय का प्रतीक है जो सारी अच्छी बुरी बातें पचा जाता है। सभी बच्चे इन गुणों को अपने में संजोने के लिए ही शायद श्री गणेश की स्थापना करतें हैं।
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