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होशंगाबाद

नदी में बाढ़, जान की परवाह नहीं

जान जोखिम में डालकर ग्रामीण और शिक्षक करते हैं नदी पार, बरसात के दिनों में रपटे पर रहता है बाढ़ का पानी

होशंगाबादSep 08, 2018 / 10:36 pm

rakesh malviya

Flood in the river, do not care about life

नदी में बाढ़, जान की परवाह नहीं

सारनी. पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात का दौर बदस्तूर जारी। सतपुड़ा जलाशय भी शनिवार को लबालब हो गया है। पहाड़ी नदियों का पानी बाढ़ के रूप में सीधे जलाशय में पहुंचने से लगातार सतपुड़ा डेम के गेट खुले हैं। इससे तवा नदी में बाढ़ जैसे हालात है। बच्चें जहां स्कूल नहीं पहुंच पा रहे। वहीं ग्रामीण और शिक्षक जान जोखिम में डालकर रपटा पार करने को मजबूर है। घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में शिवनपाट नदी पर बने रपटे पर एक गेट के पानी से भी बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो जाते हैं। लंबे इंतजार के बाद भी जब शनिवार दोपहर तक शिवनपाट रपटे से पानी नहीं उतरा तो ग्रामीणों, शिक्षकों और बच्चों ने ऊफनती नदी के बीच रपटा पार करने की ठान ली और एक-दूसरे के सहारे नदी पार करते रहे। भगवान का शुक्र है कि इस दौरान डेम के गेटों की संख्या नहीं बढ़ी। अन्यथा कुछ भी होने से इंकार नहीं किया जा सकता। शिक्षक दशरथ धुर्वे बताते हैं कि पिछले 4-5 दिनों से नदी में बाढ़ जैसे हालात है। इस सीजन में एक-दो नहीं। बल्कि कई घटनाएं भी हो गई है।
सतपुड़ा से छोड़ा 9500 क्यूबिक फीट पानी
तवा नदी पर बना सतपुड़ा जलाशय लबालब हो गया है। 1433 फीट जल भरण क्षमता वाले जलाशय का लेबल मेंटेंन कर लिया गया है। अब जलाशय में पानी बढ़ते ही तत्काल गेट खोलकर तवा नदी में छोड़ा जा रहा है। शुक्रवार शाम को 7 बजे 3 गेट एक-एक फीट की ऊंचाई पर खोले गए। 8 बजे जलाशय में बाढ़ का पानी तेजी से आने पर 5 गेट दो-दो फीट की ऊंचाई तक खोलने पड़े। इस दौरान तवा नदी में सतपुड़ा से प्रति सेकंड करीब 9 हजार 500 क्यूबिक फीट पानी छोड़ा गया। इससे तवा नदी में बाढ़ जैसे हालात बने रहे। रात 12 के बाद गेटों की संख्या सुबह तक घटाकर एक कर दी गई। जो अभी भी खुला है। पिछले 24 घंटे में 12 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है। इसी के साथ बरसात का आंकड़ा 737 मिलीमीटर पर पहुंच गया है
नदी किनारे गुजारी रात –
शुक्रवार शाम से ही नदी में बाढ़ चल रही थी। छिन्दवाड़ा जिले और सतपुड़ा के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई जोरदार बारिश से राजडोह नदी में इतनी जबरदस्त बाढ़ थी कि ठेकेदार ने नाव चालन बंद कर दिया। इतना ही नहीं। नदी किनारे नाव बांध दी गई। देर रात तक बाढ़ नहीं उतरने पर ठेकेदार और ग्रामीणों ने नदी किनारे ही खिचड़ी बनाकर भोजन कर रात गुजारी। अलसुबह बाढ़ उतरने पर ग्रामीण अपने-अपने गांव पहुंचे। गौरतलब है कि लोनिया पंचायत अंतर्गत आधा दर्जन गांव आते हैं। जिनके आवागमन का मौजूदा हाल में एक ही सहारा नाव है।
एक नजर में सतपुड़ा जलाशय –
कैचमेंट एरिया 219 स्क्योर माइल है।
क्षेत्रफल 2975 एकड़।
क्षमता 1433 फीट।
अब तक 739 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है।
सीजन में सामान्य वर्षा 1500 मिलीमीटर
शुक्रवार देर रात तक सतपुड़ा से 9500 क्यूबिक फीट पानी तवा नदी में छोड़ा गया। शनिवार दिन भर भी डेम का एक गेट खुला रहा।

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