पूर्व के कांग्रेस शासनकाल में रेत मजदूरों के लिए तवापुल पर श्रमिक भवन स्वीकृत हुआ था। जिसे 50 लाख की लागत से बनना था। इसके लिए 17 लाख रुपए की राशि भी जारी हुई थी, लेकिन यह भवन अभी तक नहीं बन सका। इस भवन का निर्माण कराए जाने की मांग उठाई गई।
यूनियन ने पीपल चौक पर पहले धरना दिया। इसके बाद रैली के रूप में कलेक्टे्रट पहुंचे। ज्ञापन में मांग रखी कि जिले की रेत खदानें जल्द चालू की जाए और मशीनों से खनन बंद कर मजदूरों से रेत भराई हो, ताकि हजारों परिवारों का भरण-पोषण हो सके।
यूनियन ने रेत कारोबार से होने वाली वार्षिक आय से मजदूर परिवारों को बोनस की मांग की। पूर्व की कांग्रेस सरकार में भी मजदूरों को बोनस बांटा गया था। इस योजना पुन: लागू करने करने पर जोर दिया गया। साथ ही मजदूर परिवारों को स्वास्थ्य, शिक्षा, दुर्घटना जोखिम योजना का लाभ दिलाने की मांग भी रखी।