पहला काम- डॉग टॉयलेट नपा ने स्वच्छता सर्वेक्षण सर्वे २०१८ में अंक हासिल करने के लिए कुत्ते पालने वाले लोगों को ध्यान मंे रखते हुए उनके जानवरों के लिए अलग से फरवरी 2018 मंे ६० हजार रुपए खर्च कर इस टॉयलेट बनाया। सर्वे के दौरान भी नपा ने अपने इस प्रोजेक्ट को सामने रखकर नंबर हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन अब यह डॉग टॉयलेट उजाड़ पड़ा है।
दूसरा काम- प्लास्टिक बॉडी डस्टबिन शहर में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग लेने के कंसेप्ट पर काम करते नपा ने सर्वेक्षण २०१८ के दौरान नीले-हरे डस्टबिन बनवाए थे। प्रति डस्टबिन के सेट पर लगभग ५ हजार रुपए का खर्च हुआ था। पूरे शहर में १०० से १२५ डस्टबिन लगवाए गए थे। इस पर कुल 6 लाख 25 हजार रुपए खर्च किए गए, लेकिन इन डस्टबिनों में से अधिकाशं टूट गए हैं, तो कुछ चोरी हो गए हैं। जो डस्टबिन बच गए हैं वे भी अनुपयोगी पड़े हुए हैं। उनकी तरफ नपा प्रशासन का भी ध्यान नहीं है।
तीसरा काम-पार्कों का सौंदर्यीकरण सर्वे २०१८ के दौरान शहर के करीब १५ पार्कों का सौंदर्यीकरण करने की योजना थी। इसके तहत उन पार्कों में रंगरोगन और अन्य सुविधाएं दी जाना थीं। सर्वे २०१८ के दौरान नपा ने इनमें से केवल ५ पार्कों पर ही ध्यान दे पाई थी। इन पार्कों पर करीब १ लाख रुपए खर्च किए गए थे। बाकी पार्क छूट गए थे। जिन पार्कों को चिन्हित किया गया था, उनमें रंगाई-पुताई से लेकर बच्चों के लिए अन्य तरह की सुविधाएं भी दी गई थीं, मगर उसके बाद से इन पार्कों का कोई मेंटनेंस नहीं हुआ है।……
चौथा काम- ५ स्वच्छ शौचालय वर्ष २०१८ में नपा सीमा में सार्वजनिक शौचालय बनाए गए थे। पूरे शहर में ५ सार्वजनिक शौचालय बनाए गए थे। स्वच्छता सर्वेक्षण सर्वे २०१८ के दौरान इन सभी पर नपा ने करीब ४० लाख रुपए की राशि खर्च की थी। इन सभी टाय्ॉलेटों को ठेके पर दिया गया है। ठेके पर जाने के बाद वर्तमान में इन शौचालयों में गंदगी रहती है, जिससे लोगों को उनका उपयोग करने में बहुत परेशान होना पड़ता है।
….. किसने क्या कहा
स्वच्छता सर्वेक्षण सर्वे-२०१८ के दौरान हमने कई सुविधाएं दी थीं। उन सुविधाओं का मेंटनेंस करना निश्ििचत रूप से नपा की जिम्मेदारी है, मगर जिन सुविधाओं की बात हो रही है, उसमें जनभागीदारी भी बहुत जरुरी है। फिर भी आप जिन बिंदुओं पर बात कर रहे हैं, उनमंे हम सुधार लाने का प्रयास करेंगे।
-अमरसत्य गुप्ता, सीएमओ होशंगाबाद स्वच्छता सर्वेक्षण २०१८ के दौरान जो काम हमने कराए थे, उन्हें करने की मूल मंशा से लोगों को सुविधा देते हुए गंदगी से मुक्ति दिलाने की थी। उनको लेकर वर्तमान में कोई अनदेखी नहीं हो रही है। आज भी उन कामों का लाभ लोग ले रहे हैं। डस्टबिन या डॉग टॉयलेट जैसे विषयों पर आम जनता की जागरुकता बहुत जरुरी है।
-अखिलेश खंडेलवाल, नपाध्यक्ष होशंगाबाद