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होशंगाबाद

यहां न पर्याप्त डॉक्टर, न मेडिकल स्टॉफ, कैसे मिलेगा ‘राइट टू हेल्थ’ योजना का लाभ

राज्य सरकार बना भावी योजना

होशंगाबादJul 10, 2019 / 07:44 pm

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यहां न पर्याप्त डॉक्टर, न मेडिकल स्टॉफ, कैसे मिलेगा ‘राइट टू हेल्थ’ योजना का लाभ

इटारसी. शहर के पं. श्यामाप्रसाद मुखर्जी अस्पताल में जनरल डॉक्टर, विशेषज्ञ और मेडिकल टीम की भारी कमी है। ऐसे में ‘राइट टू हेल्थ’ (आरटीएच) स्कीम लागू होने से मरीजों को क्या सही में लाभ मिलेगा? इस योजना के लागू होने से पहले ही सवाल उठने लगे हैं। इससे पूर्व लागू आयुष्मान योजना चल रही है, लेकिन इसका लाभ मरीजों को मिला नहीं मिल रहा है। बताया गया कि मप्र सरकार लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार ‘राइट टू हेल्थ’ स्कीम देने जा रही है। जल्द यह योजना प्रदेश के सभी अस्पतालों में लागू किया जा जाएगा। योजना का मकसद मरीजों को तय समय पर एक ही छत के नीचे संपूर्ण इलाज मिल जाए। ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि ओपीडी में समय पर इलाज मिले और तय समय के भीतर जांच रिपोर्ट मिल जाए।
डॉक्टर, टेक्नीशियन व स्टॉफ की दरकार :

डॉक्टरों के अनुसार यह सब तभी संभव है, जब इलाज करने वाले डॉक्टर और जांच करने वाले लैब टेक्नीशियन छोटे-छोटे से छोटे तहसील स्तर के अस्पतालों में पदस्थ हों। वर्तमान में मुखर्जी अस्पताल में 32 स्वीकृत में से 18 डॉक्टर ही नहीं हैं। चार- पांच लैब टेक्नीशियन जैसे ब्लड बैंक, पैथालॉजी, एक्सरे आदि में नहीं है। वही 50 मेडिकल स्टॉफ की कमी है। इटारसी को सिविल अस्पताल का वर्तमान में दर्जा मिला है।
आयुष्मान योजना का भी यही हश्र :

केन्द्र सरकार ने कुछ चिन्हित वर्ग के लोगों के नि:शुल्क इलाज के लिए ‘आयुष्मान भारत” योजना शुरू की थी। इसमें 473 बीमारियों को सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित किया है, पर डॉक्टर, जांच सुविधाएं व अन्य संसाधन नहीं मिले। इससे योजना का लाभ मरीज को ठीक से नहीं मिल पा रहा है।
ये है स्थिति
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अगर यहां राइट टू हेल्थ योजना लागू होती है, तो अस्पताल को पहले डॉक्टर, विशेषज्ञ औेर लैब टेक्नीशियन चाहिए। विशेषज्ञों की कमी के चलते सबसे बड़ी अड़चन सीजर डिलिवरी में आ रही है। वहीं एनेस्थीसिया, शिशु रोग व गायनी में एक भी डॉक्टर के बिना सीजर नहीं किया जा सकता। तहसील से 50 किमी की रेंज के लिए मुखर्जी अस्पताल ही है। ऐसे में ग्रामीण मरीजों को इलाज के लिए कई किलोमीटर चलकर यहां आते हैं या फिर निजी अस्पतालों में इलाज कराने जाने को मजबूर है।
अस्पताल को तीन साल से नहीं मिले बोंड डॉक्टर
बताया जाता है कि अस्पताल को पिछले तीन साल से बांड डाक्टर नहीं मिल रहे हैं। मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करके निकले डॉक्टरों को एक साल के लिए प्रैक्टिस करने बतौर फिक्स राशि पर बॉड भरवाकर नियुक्त किया जाता है। पहले यहां बांड डाक्टर आते थे, अब नहीं मिल रहे हैं। इस कारण डॉक्टरों का संकट बना हुआ है।
ये है योजना
ठ्ठ ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ योजना तैयार हो रही है। इसमें वे लोग भी आएंगे, जिन्हें आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिलता है। योजना अगले महीने संभवत: 15 अगस्त से लागू करने जा रही है।
इसमें 1.5 लाख रुपए तक उपचार का खर्च बीमा कंपनी द्वारा वहन किया जाएगा और 10 लाख रुपए तक का दावा ट्रस्ट मोड पर सरकार वहन करेगी। मरीज की बीमारी पर जितना भी खर्च आएगा, उसे सरकार वहन करेगी।
मरीज किसी भी सरकारी अस्पताल में अपना इलाज करवा सकता है। रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ सरकार एक बुकलेट भी जारी करेगी, जिसमें इस योजना से जुड़ी हर तरह की जानकारी होगी।

सरकार कोई भी स्कीम लाएं, लेकिन जब तक अस्पताल में डॉक्टर, विशेषज्ञ और टेक्नीशियन स्टॉफ नहीं मिलेगा, तब तक कोई लाभ मरीजों तक नहीं पहुंचेगा। इटारसी अस्पताल को सबसे पहले उक्त स्टॉफ की जरूरत है, जिसके लिए हमने वरिष्ठ अधिकारियों से मांगा है।
डॉ. एके शिवानी, अधीक्षक, मुखर्जी अस्पताल इटारसी

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