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होशंगाबाद

यहां जान का जोखिम लेकर ऐसा काम करते हैं ट्रेकमैन

कागजों में दफन ट्रेकमैनों को ग्लोबल वार्निंग सिस्टम देने की योजना

होशंगाबादAug 18, 2018 / 02:14 pm

sandeep nayak

indian railway job recruitment 2018 and railway trackman

यहां जान का जोखिम लेकर ऐसा काम करते हैं ट्रेकमैन

इटारसी। रेलवे ट्रैक का मेंटनेंस करने वाले ट्रेक मेंटनर्स खतरे में जान डालते हुए काम करने को मजबूर हैं। इन कर्मचारियों के पास ट्रेक पर काम करते हुए तेज रफ्तार से आ रही ट्रेन के बारे में जानने का कोई अत्याधुनिक उपकरण ही नहीं है। चार साल पहले इन रेलकर्मियों को ग्लोबल वॉर्निंग सिस्टम उपकरण देने की मांग उठी थी मगर वह भी मांग और उसका प्रस्ताव दोनों ही फाइलों में दफन होकर रह गए हैं।
चार साल पहले बनी थी योजना
वर्ष 2014 में रेलवे ट्रैक का मेंटनेंस करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा की दृष्टि से यह मुद्दा उठा था। एनएफआईआर ने रेलवे बोर्ड को भी इस संबंध में पत्र लिखा था। पत्र में रेलवे ट्रैकमैनों को सुरक्षा की दृष्टि से जीडब्ल्यूएस यानी ग्लोबल वॉर्निंग सिस्टम देने की मांग रखी थी। जीडब्ल्यूएस एक घड़ी के आकार का यंत्र होता है तो कलाई पर बांधा जाता है। इस यंत्र से करीब दो किमी दूरी पर मौजूद ट्रेन के बारे में पता चल जाता है। चार साल से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
जोन में करीब 10 हजार ट्रैकमैन
भोपाल मंडल में रेलवे ट्रेक मेंटनेंस का काम करने के लिए करीब 2900 रेलकर्मी लगे हुए हैं। जबलपुर जोन के दोनों मंडल कोटा और जबलपुर को भी जोड़ लें तो करीब 10000 ट्रैकमैन कार्यरत हैं। यह कर्मचारी शिफ्टों में ड्यूटी करते हैं। रेलवे ट्रैक पर काम करते हुए इन कर्मचारियों की जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होता है कि कब उन्हें मौत अपने आगोश में ले ले बावजूद उसके कर्मचारी अपनी जिंदगी को खतरे में डालते हुए नौकरी करते हैं। इन कर्मचारियों के लिए जीडब्ल्यूएस तो बहुत दूर की बात है जो जरुरी उपकरण हैं वहीं प्रदान नहीं किए जाते हैं।
नहीं मिले उपकरण
&चार साल पहले कर्मचारियों को वह उपकरण देने की मांग एनएफआई द्वारा की गई थी मगर अब तक उस पर कुछ नहीं हुआ है। उपकरण मिलने से रेलवे ट्रेक पर होने वाले हादसे रुकेंगे। इसके लिए संगठन लेवल पर पूरी लड़ाई लड़ी जा रही है।
आरके यादव, मंडल सचिव, डब्ल्यूसीआरएमएस
&यह हमारे स्तर का मामला नहीं है। इस बारे में निर्णय वरिष्ठ अधिकारिक स्तर पर होता है। वरिष्ठ कार्यालय से जो निर्देश मिलते हैं उनका पालन किया जाता है।
ओपी सराठे, एसएसई पाथवे

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