-वर्ष 2015-16 तक सब्जी मंडी की दुकान किराया संग्रहण पंजी में कुल ३९ दुकानदार दर्ज थे मगर पंजी में कांटछांट कर क्रमांक ४१ से क्रमांक ५२ तक नए नामों की जांच हो।
-गोपीचंद मामराज नामक व्यवसायी शहर में ही नहीं है इस नाम की दुकान का नामांतरण रतनचंद्र धीरेंद्र के नाम से होना।
-किराया संग्रहण पंजी में क्रमांक 40 पर दर्ज हमीद अब्दुल अजीज के बाद दर्ज की गई टीप और उसमें कांट-छांट कर अन्य नाम जोड़ा जाना।
-पंजी के क्रमांक 30 के क्रमांकों को ओवर राइटिंग कर बदला जाना।
-पूर्व से निश्चित २० फल दुकानों की जगह 22 दुकानें और आढ़त की 20 दुकानों की जगह 22 दुकानों का निर्माण होना।
-जोड़े गए नए नामों का वर्ष 2015 से पहले का किराया जमा नहीं होना और उन्हें कोई नोटिस जारी नहीं होना।
-किराया संग्रहण पंजी के 4-4 नाम से अधिक नाम वाले पृष्ठों पर हाथ से नाम लिखे जाना।
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सभापति रहते दी स्वीकृति, बाद में बने शिकायतकर्ता
सब्जी मंडी की कच्ची दुकानों के व्यवस्थापन का प्रस्ताव सबसे पहले जिस अध्यक्षीय परिषद में आया था उस परिषद में स्वास्थ्य सभापति के तौर पर रहते शिकायतकर्ता पार्षद ने इस प्रस्ताव पर सहमति दी थी मगर बाद में तालमेल नहीं बैठने से उन्होंने सब्जी मंडी मामले की शिकायत कर दी थी जिससे उनका सभापति पद चला गया था। इसके बाद भाजपाशासित नपा के खिलाफ मोर्चा खोलने पर उन्हें भाजपा के जिलाध्यक्ष ने नोटिस भी जारी किया था।
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इनका कहना है
हम शुरू से ही कहते आ रहे थे कि सब्जी मंडी में अपात्रों को दुकानें आवंटित हुई हैं मगर उसे दबाने का प्रयास हो रहा था। अब पीआईसी का अपात्रों की जांच करने का पास किया प्रस्ताव साबित करता है कि हमारी शिकायत सही थी। इसमें निष्पक्ष जांच होगी तो अपात्रों के नाम सामने आ जाएंगे।
यज्ञदत्त गौर, शिकायतकर्ता पार्षद
बीएल सिंगवाने, आरआई इटारसी नपा