गांधीनगर में निकाला डंडा : गांधीनगर में भी भुजरिया विसर्जन जुलूस डंडा बजाते हुए निकाला। यह विशेष प्रकार का आयोजन गांधीनगर के शंकर मंदिर से प्रारंभ हुआ। इसमें मोहल्ले के युवाओं द्वारा डंडे बजाकर डांस किया जाता है। जुलूस में महिलाएं भी शामिल होती है जो भुजरिया को अपने सिर पर रखकर विसर्जन स्थल तक ले जाती हैं। इस मोहल्ले की बेहद पुरानी परंपरा है।
भुजरिया देकर लिया बड़ों से आशीर्वाद – भुजरिया पर्व अच्छी फसल और सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है। सावन के महीने में दोना में गेहूं या जौ के बोए जाते है और रक्षाबंधन के दिन जुलूस के रूप में निकालकर आसपास के नदियों में इसका विसर्जन किया जाता है। भुजरिया के देकर अपने से बड़ों को आशीर्वाद लेने की परंपरा भी है।
रामपुर में भी होता है डंडा नृत्य – मान्यताओं के अनुसार मनाए जाने वाला यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। रामपुर गांव में भी डंडे बजाकर भुजलिया पर्व निकालने की परंपरा है। यहां गांव पटेल के घर भुजलिया टूटती है और जुलूस शुरू निकाला जाता है जो एडव्होकेट दीपक तिवारी के घर संपन्न होता है। यहां परंपरा है कि जिनके घर किसी की मृत्यु हो जाती है उनके घर डंडे बजाने जाते हैं।
भुजरिया देकर लिया बड़ों से आशीर्वाद – भुजरिया पर्व अच्छी फसल और सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है। सावन के महीने में दोना में गेहूं या जौ के बोए जाते है और रक्षाबंधन के दिन जुलूस के रूप में निकालकर आसपास के नदियों में इसका विसर्जन किया जाता है। भुजरिया के देकर अपने से बड़ों को आशीर्वाद लेने की परंपरा भी है।
रामपुर में भी होता है डंडा नृत्य – मान्यताओं के अनुसार मनाए जाने वाला यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। रामपुर गांव में भी डंडे बजाकर भुजलिया पर्व निकालने की परंपरा है। यहां गांव पटेल के घर भुजलिया टूटती है और जुलूस शुरू निकाला जाता है जो एडव्होकेट दीपक तिवारी के घर संपन्न होता है। यहां परंपरा है कि जिनके घर किसी की मृत्यु हो जाती है उनके घर डंडे बजाने जाते हैं।