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होशंगाबाद

Krishna Janmashtami 2019 : इस जन्माष्टमी तीन जन्म के पापों से मिलेगी मुक्ति, जानें कैसे करें पूजा

उलझनों के बीच ऐसा संयोग भी

होशंगाबादAug 23, 2019 / 11:37 am

sandeep nayak

Krishna Janmashtami 2019

Krishna Janmashtami

होशंगाबाद। इस बार जन्माष्टमी व्रत-उपवास को लेकर उलझनें हैं, लेकिन इन उलझनों के बीच ऐसा संयोग भी बन रहा है, जो पुराणों के अनुसार तीन जन्म के पापों से मुक्ति देने वाला है। असमंजस यह है कि व्रत 23 अगस्त को करें, या फिर 24 अगस्त को। चूंकि अष्टमी तिथि का आरंभ 23 अगस्त की सुबह 8.09 मिनट पर हो रहा है, जबकि रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 24 तारीख की सुबह 3.48 मिनट पर हो रहा है और समापन 25 अगस्त की सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि व रोहिणी नक्षत्र के होने के कारण 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
शास्त्रों में यह बात भी आती है कि ”मुहूर्तमात्र (45 मिनट) भी रोहिणी नक्षत्र संयुक्त अष्टमी हो और फिर नवमी से युक्त हो, ऐसी जन्माष्टमी का व्रत कुल के करोड़ों लोगों को मुक्ति देनेवाला होता है। 24 अगस्त को ऐसा योग होने से भगवान के मुख्य मंदिरों – द्वारका, मथुरा, नाथद्वारा, डाकोर आदि में भी जन्माष्टमी 24 को ही मनाया जायेगा।
जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि
1. इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है।
2. इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। रात्रि को स्त्री संग से वंचित रहें और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें।
3. उपवास वाले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठें।
जन्माष्टमी का महत्व
1. इस दिन देश के समस्त मंदिरों का श्रृंगार किया जाता है।
2. श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियाँ सजाई जाती हैं।
3. भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजा के उन्हें झूला झुलाया जाता है

कृष्ण जन्माष्टमी का मुहूर्त
1. अष्टमी पहले ही दिन आधी रात को विद्यमान हो तो जन्माष्टमी व्रत पहले दिन किया जाता है।
2. अष्टमी केवल दूसरे ही दिन आधी रात को व्याप्त हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
3. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को व्याप्त हो और अर्धरात्रि (आधी रात) में रोहिणी नक्षत्र का योग एक ही दिन हो तो जन्माष्टमी व्रत रोहिणी नक्षत्र से युक्त दिन में किया जाता है।
4. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को विद्यमान हो और दोनों ही दिन अर्धरात्रि (आधी रात) में रोहिणी नक्षत्र व्याप्त रहे तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
5. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को व्याप्त हो और अर्धरात्रि आधी रातमें दोनों दिन रोहिणी नक्षत्र का योग न हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
6. अगर दोनों दिन अष्टमी आधी रात को व्याप्त न करे तो प्रत्येक स्थिति में जन्माष्टमी व्रत दूसरे ही दिन होगा।

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