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होशंगाबाद

24 अगस्त को ही मनेगी कृष्ण जन्माष्टमी, जानें क्यों

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार रोहिणी नक्षत्र में हर्षण योग में हुआ था

होशंगाबादAug 20, 2019 / 01:43 pm

sandeep nayak

Krishna Janmashtami

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होशंगाबाद। जन्माष्टमी व्रत मनाने को लेकर इस पर विवाद की स्थिति है। इसका कारण 23 और 24 अगस्त को अष्टमी तिथि का होना है। पंडि़त शुभम दुबे के अनुसार मथुरा में कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार रोहिणी नक्षत्र में हर्षण योग में हुआ था उनके जन्म के समय अर्धरात्रि (आधी रात) थी, चन्द्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है
22 अगस्त 2019 को अर्ध रात्रि 3.07 से अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है और अष्टमी तिथि 23 अगस्त 2019 रात्रि 3.11 अर्धरात्रि तक रहेगी। इस स्थिति में शास्त्रों में कहा जाता है अगर अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र ना हो तो रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि और कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत मनाया जाता है और पंचांग मत के अनुसार 23 अगस्त 2019 अर्ध रात्रि 12.02 से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ हो रहा है और 24 अगस्त दिन शनिवार अर्ध रात्रि 12.20 तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा तो संपूर्ण दिन रोहिणी नक्षत्र शनिवार 24 अगस्त को रहेगा इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त की ही मनाई जाएगी
यह है जन्माष्टमी का महत्व
भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यह त्योहार मनाया जाता है, इसे कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जानते हैं। अष्टमी के दिन कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता है। पौराणिक कहानियों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। इसलिए भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यदि रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग हो तो वह और भी शुभ माना जाता है. उदया तिथि के अनुमान से 24 में ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त
तिथि: 24 अगस्त, शनिवार
पूजा मुहूर्त : रात 12:01 बजे से 12:45 बजे तक
अवधि : 45 मिनट

क्यों करें व्रत
ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी दुखों व शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति व प्रेम आता है। इस दिन अगर श्री कृष्ण प्रसन्न हो जाएं तो संतान संबंधित सभी विपदाएं दूर हो जाती हैं। श्री कृष्ण जातकों के सभी कष्टों को हर लेते हैं।
जन्माष्टमी का महत्व
1. इस दिन देश के समस्त मंदिरों का श्रृंगार किया जाता है।
2. श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियाँ सजाई जाती हैं।
3. भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजा के उन्हें झूला झुलाया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का मुहूर्त
1. अष्टमी पहले ही दिन आधी रात को विद्यमान हो तो जन्माष्टमी व्रत पहले दिन किया जाता है।
2. अष्टमी केवल दूसरे ही दिन आधी रात को व्याप्त हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
3. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को व्याप्त हो और अर्धरात्रि (आधी रात) में रोहिणी नक्षत्र का योग एक ही दिन हो तो जन्माष्टमी व्रत रोहिणी नक्षत्र से युक्त दिन में किया जाता है।
4. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को विद्यमान हो और दोनों ही दिन अर्धरात्रि (आधी रात) में रोहिणी नक्षत्र व्याप्त रहे तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
5. अष्टमी दोनों दिन आधी रात को व्याप्त हो और अर्धरात्रि आधी रातमें दोनों दिन रोहिणी नक्षत्र का योग न हो तो जन्माष्टमी व्रत दूसरे दिन किया जाता है।
6. अगर दोनों दिन अष्टमी आधी रात को व्याप्त न करें तो प्रत्येक स्थिति में जन्माष्टमी व्रत दूसरे ही दिन होगा।
जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि
1. इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है।
2. इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। रात्रि को स्त्री संग से वंचित रहें और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें।
3. उपवास वाले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठें।
यह व्रत रात्रि बारह बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बफऱ्ी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है।

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