खीरा हुआ महंगा
जन्माष्टमी के मौके पर बाजार में खीरा बेचने वालों की तो चांदी ही चांदी होती है। इन दिनों 20 से 25 रुपये किलो में आसानी से मिलने वाला खीरा इस दिन 150-200 रुपये प्रतिकिलो ग्राम के हिसाब से बिकता है।
इसकी खासियत
खीरा शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। लेकिन अब इसे कृष्ण जन्माष्टमी से जोड़ दिया गया है। जन्माष्टमी पर लोग श्रीकृष्ण को खीरा चढ़ाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि नंदलाल खीरे से काफी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे संकट हर लेते हैं। इसलिए इनके जन्म को भी खीरे से जोड़ा गया है, नंदलाल के जन्म पर खीरे को गर्भगृह के रूप में उपयोग किया जाता है। साथ ही इसे कृष्ण पट पर रखकर नरा के रूप में ककड़ी को रखकर काटा जाता है।
इसका लगता है भोग
श्रीकृष्ण को खीरे के अलावा माखन, मिश्री, खीर, ककड़ी, आटे की पंजीरी और धनिये की पंजीरी का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा बाल गोपाल का दूध, दही, शहद और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को मथुरा में अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए हुआ था।
उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
उपवास के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं।
पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें।
ऐसी मान्यता है कि छप्पन भोग में श्रीकृष्ण के पंसदीदा व्यंजन होते हैं जैसे अनाज, फल, मेवे, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और आठ प्रकार की आचार शामिल होती है. आपको बता दें कि छप्पन भोग में से श्रीकृष्ण के सबसे ज्यादा पंसदीदा व्यंजन होते हैं अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और आचार की श्रेणी में आने वाले आठ प्रकार की चीजें होती हैं। छप्पन भोग में सामान्य रूप से माखन मिश्री खीर और रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, चटनी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, दाल, कढ़ी, घेवर, चीला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता जैसी चीजें शामिल होती हैं. इसी के साथ अगर आपकी कोई मनोकामना है तो आप उस मनोकामना को पूरा करवाने के लिए उन्हें श्रद्धा पूर्वक माखन मिश्री एक मुख्य भोग चढ़ा दें।