यहां से कांग्रेस से दावेदार के रूप में पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा और पूर्व सांसद सरताज सिंह जैसे दिग्गज नेता भी कतार में थे। पचौरी और नीखरा के नाम पैनल में भी गए थे। इसमें प्रबल दावेदार पचौरी माने जा रहे थे, लेकिन एेनवक्त पर नए एवं युवा चेहरे दीवान बाजी मार ले गए।
क्यों बदल सकता है टिकट
कांग्रेसी मान रहे है कि भाजपा के राव उदय प्रताप सिंह की तुलना में कांगे्रस के दीवान कमजोर उम्मीदवार हैं। इस कारण उन्हें उम्मीद है कि जिस तरह भोपाल की कठिन सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। उसी तरह होशंगाबाद भी कठिन सीट मानी जाती है। यहां से भी कांग्रेसी किसी दिग्गज नेता के मैदान में उतरने की उम्मीद लगाए हुए थे लेकिन एेसा हुआ नहीं। अब टिकट घोषित होने के बाद भी पचौरी और नीखरा दिल्ली में जोर लगा रहे हैं कि उन्हें टिकट मिल जाए। इसके लिए वे घोषित उम्मीदवार को कमजोर बता रहे हैं।
इसलिए मारी बाजी
कांग्रेस सूत्रों पर भरोसा करें तो पूर्व गृह राज्यमंत्री दीवान चंद्रभान सिंह के पुत्र शैलेंद्र दीवान को यहां से टिकट मिलने के पीछे जातिगत वोट बैंक को साधने की रणनीति है। दरअसल मुख्यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में बड़ी संख्या लोधी वोट बैंक की है। इस वर्ग को साधने के लिए नाथ ने यहां से इस समाज के युवा नेता को उम्मीदवार बनाया है ताकि उनके बेटे नकुल नाथ की राह आसान हो जाए। इसी समाज के वोट बैंक की दम पर भाजपा ने छिंदवाड़ा से प्रहलाद पटेल को लोकसभा चुनाव लड़ाया था।