गंदगी और खराब सड़कों से परेशान विधानसभा क्षेत्र का बूथ क्रमांक दस। ग्राम बीकोर के इस बूथ पर पिछले चुनाव में भाजपा को सर्वाधिक वोट मिले थे। गांव की आबादी तीन हजार है। यहां बिजली सब स्टेशन बना और रसोई गैस एजेंसी भी डेवलप हुई है। मंगल भवन भी बना है। ग्रामीण बताते हैं यह तीन काम हुए है लेकिन अब तक नल-जल योजना का शुभारंभ नहीं हो सका है।गांव की सड़कों के भी बुरे हाल हैं। बारिश में यह कीचड़ में तब्दील हो जाती हैं। पंचायत भवन भी पांच साल में नहीं बन सका। यहां खेतीहर किसान और छुट-पुट व्यापारी रहते हैं। यही इनकी आजीविका का साधन है। वे कहते हैं, मोहल्ले में गंदगी और नाली से परेशान हैं। ठाकुर व ब्राम्हण बाहुल्य क्षेत्र में इस बार भी भाजपा अपने काम की बदौलत अच्छे वोट मिलने का दावा कर रही है।
गलचा- कम वोट मिले तो थम गया विकास
मतदान केंद्र क्रमांक- 180 2013 में मतदान- 724
कांगे्रेस को मिले वोट- 694 सोहागपुर विधानसभा के गलचा गांव का बूथ क्रमांक 180। यहां गांव पिछले चुनाव में कांगे्रसी प्रत्याशी रहे रणवीर सिंह पटेल का गृह ग्राम। इस कारण उन्हें सर्वाधिक वोट मिले थे। लेकिन कांग्रेस को वोट ज्यादा देना ही ग्रामीणों को भारी पड़ गया। भाजपा विधायक ने गांव के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया। पूरे पांच साल ग्रामीण गांव के विकास की राह ताकते रहे। जबकि यह वही ग्राम पंचायत है जो वर्ष 2017 में जिले में सबसे पहले ओडीएफ (खुले से शौच मुक्त) घोषित हुई थी। चर्चा है कि घर-घर में शौचालय बनाने में ग्राम पंचायत की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके अलावा गांव में पांच सालों में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया गया है। गांव में प्रवेश करने वाली मुख्य सड़क खस्ताहाल है। जगह-जगह कीचड़ हो रही है। स्कूल भवन पुराना और जर्जर हालत में है। बावजूद बच्चे इसी भवन में पढ़ाई कर रहे हैं। खेतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। बिजली भी समय पर नहीं मिल रही है। लगभग 1200 आबादी वाले गलचा गांव में दलित, आदिवासी, माझी समाज और गूर्जर समाज सर्वाधिक है।
मतदान केंद्र क्रमांक- 180 2013 में मतदान- 724
कांगे्रेस को मिले वोट- 694 सोहागपुर विधानसभा के गलचा गांव का बूथ क्रमांक 180। यहां गांव पिछले चुनाव में कांगे्रसी प्रत्याशी रहे रणवीर सिंह पटेल का गृह ग्राम। इस कारण उन्हें सर्वाधिक वोट मिले थे। लेकिन कांग्रेस को वोट ज्यादा देना ही ग्रामीणों को भारी पड़ गया। भाजपा विधायक ने गांव के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया। पूरे पांच साल ग्रामीण गांव के विकास की राह ताकते रहे। जबकि यह वही ग्राम पंचायत है जो वर्ष 2017 में जिले में सबसे पहले ओडीएफ (खुले से शौच मुक्त) घोषित हुई थी। चर्चा है कि घर-घर में शौचालय बनाने में ग्राम पंचायत की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके अलावा गांव में पांच सालों में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया गया है। गांव में प्रवेश करने वाली मुख्य सड़क खस्ताहाल है। जगह-जगह कीचड़ हो रही है। स्कूल भवन पुराना और जर्जर हालत में है। बावजूद बच्चे इसी भवन में पढ़ाई कर रहे हैं। खेतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। बिजली भी समय पर नहीं मिल रही है। लगभग 1200 आबादी वाले गलचा गांव में दलित, आदिवासी, माझी समाज और गूर्जर समाज सर्वाधिक है।