लोक अदालत में परिवार परामर्श केंद्र के माध्यम से छह प्रकरण रखे गए। इनमें से तीन में समझौता हुआ और तीन को कोर्ट जाने की सलाह दी गई। सुलह के बाद तीनों जोड़ों ने एक-दूसरे को माला पहनाई और भेंट में मिले पौधे लेकर घर पहुंचे। पति-पत्नी के बीच काउंसलर सिंधू दुबे, अनिता जाट, भावना विष्ट, आरक्षक लक्ष्मी राजपूत, सैनिक सरोज ने सुलह कराई।
मामला एक
पति बोला अब नहीं करूंगा झगड़ा
होशंगाबाद के रसूलिया निवासी सीमा और रमेश (परिवर्तित नाम) के मामले में पति पत्नी और दोनों नि:शक्त बच्चों का अच्छे से देखभाल नहीं करता था। खर्चा नहीं उठाता था। इस वजह से दोनों के बीच झगड़ा होता था। काउंसलरों ने दोनों को समझाइश दी तो वह सुलह को राजी हो गए।
पति ने कहा- नहीं करूंगा शक
बीटीआई निवासी रमाबाई और हीरालाल (परिवर्तित नाम) के मामले में पति पत्नी पर शक करता था। बच्चों की भी अच्छे से देखभाल नहीं करता था। इस वजह से दोनों के बीच अनबन हो गई। दोनों को समझाइश देकर सुलह कराई गई तो दोनों ने अच्छे रहने व बच्चों का अच्छे से पालन-पोषण करने का कोर्ट को वचन दिया।
पति बोला नहीं
पीऊंगा शराब
खोजनपुर निवासी रमा और सुरेश (परिवर्तित नाम) के मामले में पति शराब पीकर मारपीट-झगड़ा करता था। इससे दोनों के बीच बोलचाल भी बंद हो गई थी। काउंसलरों ने जब समझाइश दी तो पति ने कहा अब शराब नहीं पीऊंगा और झगड़ा नहीं करूंगा। पत्नी को अच्छे से रखूंगा। इस बात पर पत्नी भी राजी हो गई।
पत्नी ने मायके जाने की जिद छोड़ी
बागरातवा बाबई के राजू और चंपा के बीच झगड़ा यह था कि पत्नी बार-बार मायके चली जाती थी। इससे दोनों के बीच झगड़े होते थे। तलाक तक की नौबत आ गई थी। दोनों की शादी 2014 में हुई थी। न्यायाधीश व अधिवक्ताओं की समझाइश पर दोनों ने गिले-शिकवे भुलाकर आगे की जीवन साथ निभाने का वादा किया। मामला छह: छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते थे।
हनुमान नगर रसूलिया के दीपेंद्र और दीपा (परिवर्तित नाम) घर की छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते थे। दोनों का विवाह 2013 में हुआ था। एक पुत्र भी है। पत्नी पति और सास-सुसर को जेल पहुंचाने की धमकी देती थी। जब न्यायाधीश ने काउंसिलिंग कर समझाइश दी तो दोनों ने पुरानी गलतियों को न दोहराने और अच्छे से रहने को राजी हो गए।
पत्नी साथ रहने को राजी हुई
मालाखेड़ी निवासी चंदाबाई और सूरज (परिवर्तित नाम) के मामले में पति शराब पीकर मारपीट करता था। इससे दोनों के बीच रिश्तों में कड़वाहट आ गई। कुटुंब न्यायाधीश देवनारायण शुक्ल ने जब दोनों को समझाइश दी तो मान गए। दोनों को पौधे देकर राजी-खुशी घर रवाना किया गया।