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होशंगाबाद

navratri 2017 : माता का मंदिर बनते ही पूरा हो गया था नर्मदा पुल का निर्माण

पाकिस्तान के बाद मध्यप्रदेश के इस इस शहर में है हिंगलाज देवी की प्रतिमा

होशंगाबादSep 20, 2017 / 11:58 am

harinath dwivedi

navratri special the religious story of Shri Hinglaj Mata Yatra

navratri special the religious story of Shri Hinglaj Mata Yatra

होशंगाबाद। खर्रा घाट में प्राचीन हिंगलाज देवी धाम भक्तों की आस्था का केंद्र है। कहते हैं कि नर्मदा पुल निर्माण के दौरान यहां बनने वाले पिलर में पानी कम नहीं हो रहा था, एक दिन माता ने ठेकेदार को स्वप्न में दर्शन देकर नदी के पास मंदिर होने की बात कही और वापस मंदिर बनवाने की बात कही। इसके बाद जब ठेकेदार ने मंदिर बनाया तो पुल का निर्माण बिना बाधा के पूरा हो गया। यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है। खास बात यह है कि, देवी का मूल मंदिर पाकिस्तान के कराची में स्थित हैं। एक अन्य प्रतिमा मप्र. के बरेली में है। देवी की मूर्ति मंदिर में 1० फिट नीचे तलघर में विराजमान है। आज हम आपको बताते हैं कि मंदिर का निर्माण किस तरह किया गया और इसका पौराणिक महत्व की कहानी।
1970 तक गुफा में होती थी पूजा
मंदिर में पूजा करने वाले भवानी शंकर तिवारी बताते हैं कि बात करीब 1970 की है, शहर से करीब चार किमी. दूर और नर्मदा किनारे एक गुफा थी, जिसमें हिंगलाज देवी की मूर्ति विराजमान थी, इसकी पूजा की जाती थी, यहां रहने वाले बाबा इसकी मूर्ति की पूजा करते थे, इस दौरान नर्मदा में आई बाढ़ के बाद यहां पर सबकुछ नष्ट हो गया गुफा भी नष्ट हो गई और मूर्ति का भी पता नहीं चला।
नर्मदा पर पुल निर्माण के दौरान ठेकेदार को आया स्वप्न
करीब 1990 तक सबकुछ इसी तरह से चला। इस दौरान नर्मदा नदी पर रेलवे पुल के निर्माण का कार्य शुरु किया गया। यहां पर पिलर बनाने के दौरान काफी परेशानी का सामना ठेकेदार को करना पड़ा। दरअसल जहां पिलर का निर्माण कराया जाना था, वहां पर पानी खत्म नहीं हो रहा था, जिस कारण लंबे समय तक कार्य प्रभावित रहा। कहा जाता है कि इसके बाद देवी जी ने एक दिन ठेकेदार को स्वप्न में आकर यहां पर मंदिर होने की बात कहते हुए इसे बनवाने की बात कही। ठेकेदार के माध्यम से उस जगह पर मंदिर का निर्माण किया गया। कहा जाता है उसके बाद पुल निर्माण में कोई बाधा नहीं आई।
चैत और क्वांर में होता है विशाल भंडारा
माता हिंगलाज के दरबार में चैत और क्वांर माह में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रसादी ग्रहण करने के लिए दूर दराज से भक्त पहुंचते हैं। वहीं नर्मदा किनारे बसे इस मंदिर में पहुंचकर सुख आनंद लेते हैं।
मिलती है आनंद की अनुभूति
शहर से दूर हरियाली के बीच स्थित इस मंदिर परिसर में सुखद आनंद की अनुभूति होती है। यही कारण है कि यहां पर हर दिन बड़ी संख्या में शहर और आसपास के लोग दर्शनोंं के लिए पहुंचते हैं।

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