निजी स्कूल की तरह सरकारी स्कूलों में भी शिक्षा व्यवस्था होना चाहिए। बच्चों के लिए लाइ्रब्रेरी हो, जिसके लिए टाइम निश्चित रहे। एक्सट्रा क्लासेस होनी चाहिए। ताकि विद्यार्थियों का रुझान शिक्षा की तरफ बढ़े।
प्राइवेट कंपनी की मदद लें कई सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी होती है। इसके लिए बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री से मदद लेकर स्कूल में फर्नीचर की व्यवस्था कराई जा सकती है। सरकार अगर कोई कार्य नहीं कर रही है तो प्राइवेट कंपनियां कर सकती हैं।
वैभव पालीवाल, बीए फाइनल विद्यार्थी
सरकारी स्कूलों में ऐसे पाठ्यक्रम हों जो विद्यार्थी को प्रारंभ से ही स्वरोजगार के लिए प्रेरित करें। ललित कलाओं को बढ़ावा देना चाहिए। सरकारी शिक्षकों के कोचिंग व्यवसाय पर रोक लगे। सरकारी स्कूल टीचर को कोचिंग क्लासेस का प्रावधान नहीं होना चाहिए।
शिक्षकों का सही मापदंड से चयन हो सरकारी स्कूलों के बच्चों का रिजल्ट कम होने का कारण शिक्षकों की कमी और बच्चों की रुचि में कमी का होना है। इसमें बदलाव के लिए प्रशिक्षित शिक्षक होना चाहिए और शिक्षकों का चयन सही मापदंड से होना चाहिए। ताकि उच्च स्तर की शिक्षा बच्चों को मिल सके और स्कूल की संरचना में भी बदलाव आए।
डॉ. एससी हर्णे, प्रोफेसर नर्मदा महाविद्यालय
गांव में रहने की व्यवस्था शिक्षकों की ड्यूटी पढ़ाई से अधिक अन्य कमों में लगती है। इसके अलावा शहर से गांव जाने में भी पढ़ाई प्रभावित होती है। इसलिए गांव में ही स्कूल के पास रहने की व्यवस्था होनी चाहिए। सरकारी योजना के क्रियावंयन की लंबी प्रक्रिया को कम करना चाहिए, ताकि शिक्षक और विद्यार्थी सरकारी योजनओं का लाभ आसानी से ले सके।
डॉ. हंसा व्यास, इतिहास शिक्षक
सरकारी स्कूलों में शौचालय व पानी व्यवस्था के लिए जनभागीदारी समिति द्वारा कार्य होना चाहिए। सिर्फ शासकीय योजनाओं पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। स्कूलों में ८ वीं कक्षा तक अनुत्तीर्ण न करने की व्यवस्था में भी बदलाव करना चाहिए। शिक्षा प्रणाली में बदलाव के लिए राजनैतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाए।
शौचालय व्यवस्था संस्था को पूर्ण करने की जिम्मेदारी योजनाएं तो अच्छी हैं पर जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सरकार, शिक्षक, माता-पिता व समाज सबका सम्मिलित सहयोग आवश्यक है। शौचालय बनाने के लिए राशि भी उपलब्ध करा रही है। लेकिन इसको पूर्ण करवाने की जिम्मेदारी उस संस्था की है। साफ-सफाई तो प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिगत जिम्मेदारी व सहभागिता से ही पूर्ण हो सकती है।
डॉ. विनीता अवस्थी, दर्शन शास्त्र टीचर