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होशंगाबाद

बड़ी खबर : कहर बरपाने वाले वायरस की देश में दस्तक, रहें अलर्ट, जानें कितना खतरनाक है ये

अब तक का सबसे खतरनाक वायरस

होशंगाबादMay 22, 2018 / 04:38 pm

sandeep nayak

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बड़ी खबर : कहर बरपाने वाले वायरस की देश में दस्तक, रहें अलर्ट, जानें कितना खतरनाक है ये

लोकेश तिवारी, होशंगाबाद। केरल के कोझिकोड में कहर बरपा रहे ‘निपाहÓ वायरस ने देश में दस्तक दे दी है। अब यह मध्यप्रदेश में भी दस्तक दे सकता है। केरल में इस वायरस को फैला रही चमगादड़ होशंगाबाद के नर्मदा घाट पर लाखों की तादात में रहती हैं। इन्होंने घाट पर मौजूद पेड़ों को अपना आशियाना बना रखा है। दिन में पेड़ पर यह फलों के झुंड की तरह लटकी हुई नजर आती हैं। यदि इनमें यह बीमारी आ गई तो पूरे प्रदेश में फैल सकती है। वजह है, यह नर्मदा के घाट पर मौजूद हैं, जहां लाखों की संख्या में प्रदेश भर से लोग स्नान करने आते हैं। इसके अलावा होशंगाबाद से भोपाल जाते समय जंगलों में भी पेड़ों पर चमगादड़ों के आशियाने बने हुए हैं।
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केरल में 1३ मौतों के बाद हाई अलर्ट
केरल के कोझिकोड में चमगादड़ से फैल रहे इस वायरस से 13 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें एक ही परिवार के तीन सदस्य शामिल हैं। इलाज करने वाली नर्स भी चपेट में आकर असमय मौत की शिकार हो गई। इस कारण सरकार को पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट जारी करना पड़ा। मुख्यमंत्री खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं।
होशंगाबाद के इन घाट पर है अड्डा
सेठानी घाट के ठीक सामने स्थित जोशीपुर जर्रापुर घाट पर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। यहीं पर पास में नर्मदा किनारे स्थित पीपल के वृक्षों को चामगादड़ों ने अपना अड्डा बना रखा है। यह चमगादड़ दिनभर पेड़ पर आराम करने के बाद रात होते ही क्षेत्र में सक्रिए हो जाते हैं। घाट के नीचे से नाव से आसपास के ग्रामीण एवं व्यवसायी होशंगाबाद नाव से आते-जाते हैं। रोजाना हजारों यात्री इस पार से उस पार आते-जाते हैं।
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इसलिए है खतरा
यह वायरस मुख्यत: संक्रमण से फैलता है और फ्रूट वैट कहा जाने वाला चमगादड़ फल या फलों के रस का सेवन करता है। होशंगाबाद में जहां चमगादड़ों का अड्डा बना हुआ है यह जगह वीरान और जंगली क्षेत्र है यहां आसपास कई फलों के पेड़ भी हैं। ऐसे में यहां भी इस वायरस के फैलने का खतरा बन सकता है। क्योंकि कोझिकोड में जिस परिवार के सदस्यों की मौत हुई है उनके घर के कुएं में फ्रूट बैट मिला है।
चमगादड़ की खास बातें
चमगादड़ आकाश में उडऩे वाला स्तनधारी प्राणी है। ये पूरी तरह से निशाचर होते हैं और पेड़ों की डाली अथवा अंधेरी गुफाओं के अन्दर उल्टा लटके रहते हैं। इनको दो समूहों में विभाजित किया जाता है, पहला समूह फलभक्षी बड़े चमगादड़ का होता है, जो देख कर और सूंघ कर अपना भोजन ढूंढते हैं। दूसरे कीटभक्षी होते हैं।
चमगादड़ के प्रकार
1. फलाहारी चमगादड़ : इस प्रकार के चमगादड़ आकार में कीट खाने वाले चमगादड़ों से बड़े होतें हैं। ये मकरन्द, मधुरस और फल खाने वाले होतें हैं।

2 . कीटाहारी चमगादड़ : इस प्रकार के चमगादड़ आकार में फल खाने वाले चमगादड़ों से छोटे होते हैं। ये छोटे कीट – पतंगों, गुबरेलों, छोटे कीड़ों को खाते हैं। कुछ चमगादड़ जैसे – वैम्पायर्स बड़े जीवों का खून चूसने वाले भी होतें हैं।
वायरस खतनाक क्यों
इस वायरस की अभी तक कोई वैक्सिन नहीं बनी है। इसके प्रभावित व्यक्ति को तेज बुखार आता है। सांस लेने में तकलीफ होती है और बेहोश हो जाता है। तुरंत उपचार नहीं मिले तो 48 घंटे के अंदर कोमा में चला जाता है। वर्ष 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में इस वायरस के फैलने से 45 लोगों की मौत हुई थी।
तीन तरह से फैलता है ये वायरस
-इंफेक्टेड चमगादड़ के संपर्क में आने से।
-इंफेक्टेड पिग के संपर्क में आने से।
-वायरस से इंफेक्टेड पेशेंट के संपर्क में आने से।

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