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होशंगाबाद

200 करोड़ के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए नहीं मिली सड़क, नपा से मांगे 6 करोड़ रूपए

-आनन-फानन में पीआईसी बैठक बुलाई, सरकार को भेजा नया प्रस्ताव, राशि दो या दूसरी जगह बनाने की मंजूरी, किशनपुरा क्षेत्र में रेलवे पटरी के पास प्लांट बनाने नहीं पहुंच पा रही मशीनें व वाहन

होशंगाबादNov 14, 2019 / 10:09 pm

rajendra parihar

200 करोड़  के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए नहीं मिली सड़क,  नपा से मांगे 6 करोड़ रूपए

200 करोड़ के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए नहीं मिली सड़क, नपा से मांगे 6 करोड़ रूपए

होशंगाबाद. नर्मदा नदी में मिल रही शहर की गंदगी को रोकने के लिए बनने जा रहा बहुप्रतिक्षित 200 करोड़ का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट खटाई में पड़ता दिख रहा है। जिस जगह प्लांट डालने की मंजूरी मिली, वहां तक पहुंचने का रास्ता ही नहीं है। इस कारण तीन महीने से कंपनी ने जमीन समतल करने के बाद काम बंद कर दिया है। एक किसान ने अपने खेत से रास्ता देने के लिए नगर पालिका से छह करोड़ रुपए की मांग की। जब नपा कोई निदान नहीं निकाल पाई तो गुरुवार को आनन-फानन में इसी एक मुद्दे को लेकर एमआईसी की बैठक बुलाई गई। जिसने सरकार को रास्ते के लिए छह करोड़ रुपए देने या फिर दूसरी जगह प्लांट लगाने की मंजूरी देने का प्रस्ताव भेजा है।
नगर पालिका ने किशनपुरा क्षेत्र में रेलवे पटरी के पास ट्रीटमेंट प्लांट के लिए जमीन चिन्हित की थी। लगभग 200 करोड़ की इस योजना पर निर्माण एजेंसी ने काम भी शुरू कर दिया है। प्लांट के लिए मिली भूमि का समतलीकरण भी कर लिया गया। लेकिन जब प्लांट बनाने के लिए भारी वाहन और बड़ी मशीनें वहां ले जाने की बारी आई तो रास्ते की समस्या आड़े आ गई। एक किसान का खेत आड़े आ गया। उससे बात की तो वह रास्ता देने के बदले ६ करोड़ रुपए का मुआवजा मांग रहा है। इतनी राशि नपा दे नहीं सकती। इस कारण पिछले तीन महीने से प्लांट के निर्माण का काम अटका पड़ा है।
नया प्रस्ताव भी गड़बड़
नपा ने प्लांट के लिए एमआईसी के माध्यम से शासन को नया प्रस्ताव भेजा है। इसमें छह करोड़ की मांग की गई है। राशि नहीं देने पर दूसरी जगह भोपाल तिराहे के आगे नेशनल हाइवे ६९ के पास स्थित शासकीय जमीन पर प्लांट डालने की मंजूरी देने का कहा गया है। लेकिन इस प्रस्ताव में जो जगह चिन्हित की गई वहां पहले नपा ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अतरराज्यीय बस स्टैंड बनाने का प्रस्ताव भेजा था। जिसे शासन ने इस आधार पर निरस्त कर दिया था कि वह जमीन डूब क्षेत्र में आती है। अब नपा ने दोबारा उसी जमीन का प्रस्ताव ट्रीटमेंट प्लांट के लिए भेजा है, इस कारण मंजूरी मिलने को लेकर संशय है।
पहले प्रोजेक्ट में नहीं थी अधिग्रहण की शर्त
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए शासन ने जो प्रस्ताव स्वीकृत किया था, उसमें जमीन अधिग्रहण की शर्त शामिल नहीं है। उक्त प्रस्ताव में नपा द्वारा शासकीय जमीन उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। यही कारण है कि शासन से छह करोड़ रुपए स्वीकृत होने की उम्मीद कम है। वहीं नपा के लिए इतनी राशि खर्च करना भी असंभव है।
पहले भी निरस्त हो चुका था टेंडर
इससे पूर्व प्लांट लगाने के लिए अहमदाबाद (गुजरात) की जयंती कंस्ट्रक्शन को ठेका दिया था। इसके लिए सरकार ने नपा को 200 करोड़ रुपए भी आवंटित कर दिए थे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 मई २०१८ को प्लांट के लिए भूमिपूजन भी कर दिया था लेकिन कंपनी द्वारा टेंडर मिलने के बाद नियमों का पालन न करने से इसे जून 18 में निरस्त कर दिया गया था।
सिर्फ 46 करोड़ देगी नपा
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए दूसरी बार हुए टेंडर में यह काम नोएडा की कंसल्टिंग इंजीनयर्स प्राइवेट लिमिटेड को मिला है। कंपनी को दो साल में काम करने और बाद में 10 साल तक इसकी देखरेख भी करेगी। यह कंपनी इसराइल और साउदी अरब देशों में काम कर चुकी है। नई जमीन के प्रस्ताव पास होने में देरी होने पर तय समय सीमा में काम पूरा होना मुश्किल है। प्रोजेक्ट में नपा कंपनी को 46 करोड़ रुपए भुगतान करेगी, अन्य राशि सरकार देगी।
यह है योजना
योजना में शहर के आधा दर्जन नालों को आपस में जोड़कर मुख्य कोरीघाट नाले से जोड़कर सीवेज पाइप लाइन बिछाई जाएगी। मुख्य पाइप लाइन आदमगढ़ पहाडिय़ा के पीछे बनने वाले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ेगा। प्लांट में गंदे पानी को साफ कर सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा। अभी यह नाले सीधे नर्मदा नदी में मिल रहे हैं।
फैक्ट फाइल
शहर की आबादी लगभग सवा लाख
लगभग 250 किमी की सीवर लाइन बिछेगी
काम पूरा होने का समय 24 माह
निर्माण की लागत 200 करोड़ रुपए
नर्मदा में मिल रहा गंदा पानी : 7-8 एमएलडी
इनका कहना है
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की एप्रोच रोड के लिए शासन से ६ करोड़ रूपए की मांग की है। यदि राशि नहीं मिलती है तो शासन दूसरी जगह जमीन उपलब्ध कराए। ट्रीटमेंट प्लांट के लिए जो निर्माण हुआ है उसका नपा कंपनी को भुगतान कर देगी।
अखिलेश खंडेलवाल, नपाध्यक्ष
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