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होशंगाबाद

जैविक खेती से एक, दो नही बल्कि १४ प्रकार की सब्जी, फल उगाता है पोस्ट ग्रेजुएट किसान

खेती से लाभ कमाने के साथ युवाओं को सिखा रहे जैविक खेती के गुर

होशंगाबादMay 10, 2018 / 05:45 pm

Manoj Kundoo

Organic farming news in hindi
मनोज कुंडू/होशंगाबाद। खेती को लाभ का नहीं बल्कि मानव सेवा का जरिया बनाना चाहते हैं होशंगाबाद के दो युवा। एमकॉम की पढ़ाई कर चुके मनोज शर्मा और नीलेश शर्मा ने आदमगढ़ पहाडिय़ा के पास दो एकड़ खेत में जैविक पद्धति से खेती शुरू की। इनके खेत में एक या दो नहीं बल्कि चौदह प्रकार की फल-सब्जियां लगी हैं।
मनोज बताते हैं चार भाग में पूरा सेटअप तैयार किया है। हर माह खेती पर १० हजार रुपए खर्च होते हैं, आमदनी तीन गुनी होने लगी है। उनका मानना है जैविक खेती से तैयार फल-सब्जी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। इसके अलावा दोनों युवा कृषक अन्य किसानों को जैविक खेती करने के गुर भी सिखा रहे हैं।
organic farming
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खेत में 9 ब्लॉक
खेत को अलग-अलग 9 ब्लॉक में विभाजित किया गया है, जिससे अलग-अलग ब्लॉकों में विविध प्रकार की सब्जी और फल लगाए जा सकें। फल और सब्जी के मुताबिक ही ब्लॉक वाइज जैविक ट्रीटमेंट होता है।
दो एकड़ में 14 प्रकार के फल व सब्जी
जैविक पद्धति से खेत में ककड़ी, गिलकी, लौकी, टिंडा, करेला, कद्दू, पालक, भिंडी, मिर्ची, चुकंदर, भटे, टमाटर, तरबूज, खरबूज की एक साथ खेती हो रही है।
खुद बनाते हैं जैविक खाद
जीव अमृत : तीन किग्रा बेसन, दो किग्रा गुड़, गौमूत्र, गोबर से द्रव्य बनाकर इसे २०० लीटर पानी में मिलाकर खेत में फसल पर डाला जाता है। इससे पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं।
डीबेस्ड कंपोजर : यह जैविक द्रव्य २० रुपए में मिलता है, जिसे २५ से ३० बार उपयोग किया जा सकता है। इसका उपयोग पौधों की जड़ों को मजबूती देने के लिए किया जाता है।
कीटनाशक : मित्र कीटों को बचाते हुए पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को खत्म करने के लिए नीम, सीताफल के पत्ते, लहसुन, मिर्ची से कीटनाशक बनाया जाता है।

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