नर्मदा नदी के तटवर्ती क्षेत्र में शुरू हुआ शोध, आज से होशंगाबाद के तटों पर पहुंचेगी टीम
कमिश्नर के निर्देश पर भोपाल से आया विशेषज्ञों का दल, पहले दो दिन हरदा जिले में रही टीम
सिवनी मालवा। जिले में ‘नमामि देवी नर्मदे यात्रा के आगमन से पूर्व नर्मदा नदी के तटीय इलाकों में भोपाल से आए विशेषज्ञों के दल ने रविवार से शोध कार्य शुरू किया है। कमिश्नर उमाकांत उमराव के निर्देश पर विशेषज्ञों का यह दल नर्मदा नदी के तटक्षेत्र, उसके जल की गुणवत्ता, मिट्टी का कटाव, कृषि कार्य में प्रयोग होने वाले रसायनिक दुष्प्रभाव, उत्खनन, जलीय जीव जंतुओं एवं पशु पक्षियों पर प्रभाव का शोध कर रहा है। टीम लीडर डॉ. विपिन व्यास के निर्देशन में डॉ. अंकित कुमार, डॉ. कृपाल विश्वकर्मा एवं डॉ. कुलमीत लखेरा ने रविवार व सोमवार को हरदा जिले में नर्मदा के तटों पर शोध किया। टीम लीडर डॉ. अंकित कुमार ने बताया कि बुधवार से होशंगाबाद जिले के ग्राम बाबरी के नर्मदा तट से होते हुए आंवलीघाट, खोकसर, तालनगरी, डोंगरवाड़ा, होशंगाबाद, बांद्राभान, शुक्करवाड़ा कलां, मुडियाखेड़ा, सांगाखेड़ा खुर्द, ईशरपुर, सांकला, माछा, सांडिया, उमरधा के घाटों पर शोध किया जाएगा।
अभी तक यह आया सामने
हरदा जिले के अधिकांश तटीय क्षेत्र में खेती की जा रही है। खेत में डालने वाले रसायनिक खाद नदी के पानी में मिल रहे हैं। जिससे जलीय जीव जंतुओं को नुकसान पहुंच रहा है। वहीं नर्मदा नदी में स्नान करते समय शैम्पू-साबुन का उपयोग करने व कपड़े धोने से पानी प्रदूषित हो रहा है। जन अभियान परिषद के ब्लॉक समन्वयक जयङ्क्षसह ठाकुर ने बताया कि लोगों को जागरूक करने अभियान चलाया जा रहा है।
इनका कहना………..
– नदी के तट पर जिसे हम रिपेयरिंग जोन कहते हैं, वहां कई प्रकार के छोटे-छोटे जीव पाए जाते हैं। जो उस नदी की गुणवत्ता के सूचक होते हैं। उसे नुकसान पहुंच रहा है, जिसे बचाना जरूरी है।
डॉ. अंकित ङ्क्षसह, टीम लीडर
– नदी में जल का प्रवाह एवं शुद्धता बनाए रखने में उसके संग्रहण क्षेत्र की मुख्य भूमिका है। संग्रहण क्षेत्र में उपस्थित जैव विविधता जलीय जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
डॉ. कुलदीप लखेरा, एक्सपर्ट
-नर्मदा नदी मेें कुल 103 प्रजातियों की मछलियां पाई जाती हैं जो वर्तमान में तेजी से कम हो रही हैं। इसे रोकने का प्रयास करना जरूरी है।
डॉ. कृपाल ङ्क्षसह, एक्सपर्ट