कालेमहादेव मंदिर में 7 सालों से उज्जैन की तर्ज पर शिवरात्रि, महानवरात्र मनाया जा रहा है। इसके अलावा त्योहारों के अनुसार महादेव का श्रृंगार किया जाता है। साथ ही उज्जैन के मंदिर की तर्ज पर शहर के इस मंदिर का निर्माण भी किया गया है। सावन को लेकर मंदिर में रोज भगवान की भस्मआरती की जाती है।
1840 में इस मंदिर की नींव रखी गई थी। गोलघाट स्थित इस स्थान पर पहले एक चबूतरे पर शिवलिंग और नंदी महाराज की प्रतिमा हुआ करती थी। धीरे-धीरे इसे मंदिर का स्वरूप दिया गया। तीस साल पहले संतोष शर्मा ने महादेव की सेवा की।
चंद्रग्रहण के कारण भगवान भोलेनाथ की भस्मआरती एक घंटे देरी से हुई। काले महादेव सेवा समिति सदस्यों ने बताया कि श्रावण के पहले अलसुबह तक चंद्रग्रहण होने से ४.३० बजे भगवान के पट खोले गए। फिर मंदिर साफ कर उनका नाना प्रकार के रसों से अभिषेक किया। श्रृंगार किया।