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होशंगाबाद

Sharad Purnima 2017: गुरुकुल के आर्यवीरों को आज रात बंटेगा अमृत, जानिए शरद पूर्णिमा का महत्व

कहा जाता है sharad purnima की चांदनी रात में अमृत बरसता है। इसलिए कई जगह खीर को प्रसाद के रुप में वितरण किया जाता है।

होशंगाबादOct 04, 2017 / 04:39 pm

harinath dwivedi

sharad purnima 2017

sharad purnima 2017

होशंगाबाद। sharad purnima के दिन खीर का खास महत्व होता है। शरदपूर्णिमा की चांदनी रात में कुछ समय इस खीर को रखने के बाद खाना अच्छा माना जाता है। कहा जाता है इस रात अमृत बरसता है। इसलिए कई जगह इस खीर को प्रसाद के रुप में वितरण किया जाता है। शहर के आर्ष गुरुकुल में पढऩे वाले आर्यवीरों को आज भी चांदनी रात में रखी गई इस अमृत रुपी खीर का प्रसाद वितरण किया जाता है। गुरुवार को मनाई जाने वाली sharad purnima 2017 के लिए गुरुकुल में तैयारी पूरी हो गई हैं। रात 10 बजे से खीर बनने केबाद इसे खुले में रख दिया जाता है। इसके बाद आर्यवीरों को प्रसाद बांटा जाएगा।
आज लगेगा खीर का भोग
sharad purnima पर गुरुवार को मंदिरों में भगवान को खीर का भोग लगाया जाएगा। मंदिरों में ठाकुर जी को भोग व पोशाक धारण कराई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा १६ कलाओं से युक्त और पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है। इसलिए इस दिन दमा, पितृ, आदि रोग को दूर करने के लिए रात भर चांदनी रात में रखी खीर खाई जाती है। आज शहर के सभी मंदिरो में औषधि युक्त खीर का वितरण किया जाता है।
इसलिए मनाते हैं शरद पूर्णिमा
मान्यता यह भी है कि जब द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तब भगवान श्री कृष्ण और राधा की अद्वभुत रासलीला का आरंभ भी शरद पूर्णिमा के दिन माना जाता है। शैव भक्तों के लिए शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसी कारण से इसे कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है।
वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित
शरद पूर्णिमा का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कर दिया गया है कि इस दिन औषधियों के सेवन से स्वास्थ्य लाभ अधिक व जल्दी होता है। इस दिन रात्रि में चांदी के पात्र में खीर का भोग लगा कर प्रसादी में खाया जाता है ।
शरदोत्सव के साथ बदल जाएगा जनजीवन
हिन्दी पंचाग का आठवां और सबसे पवित्र महीना कार्तिक गुरुवार से शुरू होगा। यह व्रत त्योहारों के साथ जनजीवन में कई बदलाव लाएगा। ऋतु के साथ लोगों का खान-पान, पहनावा बदलने लगेगा। इस माह शरद पूर्णिमा से कार्तिक मनाए जाएंगे। साल का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली भी इसी माह मनाया जाएगा। पं. सोमेश परसाई ने बताया कि शरदोत्सव शैव शाक्त और वैष्णव तीनों सम्प्रदायों के लिए आध्यात्मिक महत्व का पर्व है। शाक्त सम्प्रदाय में आज शरद पूर्णिमा से कोजागरी लोक्खी अर्थात लक्ष्मी जी की पूजा व्रत प्रारम्भ होता है। इसमें सोलह दिन तक भगवती राजराजेश्वरी की पूजा आराधना होती है नित्य 108 दीपक से भगवती का अर्चन व अराधना कि जाती है। आज से कार्तिक स्नान भी शुरू हो जाएगे। महिलाएं ब्रम्ह मुहुर्त में उठकर तुलसी की पूजा, परिक्रमा, दीपदान, भजन कीर्तन करेगी। दिन में एक बार तारों की छाव में भोजन करेगी। कार्तिक मास में दीपदान का विशेष महत्व है। आर्ष गुरूकुल में रात १० बजे खीर अमृत के रूप में बाटी जाएगी।

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