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होशंगाबाद

प्रदेश में इस जगह पर हर साल महिलाएं करतीं हैं तर्पण, जानें दशरथ जी से जुड़ी यह परंपरा

हर साल श्राद्धपक्ष में होता आयोजन, दशरथ का पिंडदान किया था माता ने

होशंगाबादSep 09, 2018 / 05:00 pm

sandeep nayak

Pitru Paksha 2018

Pitru Paksha 2017 me mata sita ki raah par pind daan kar rahi mahilaye

मुलताई। बाल्मिकी रामायण के एक प्रसंग में वर्णन है कि राम और लक्ष्मण की अनुपस्थिति में सीता जी ने दशरथ जी का पिण्डदान किया। दशरथ जी सीता के हाथों से पिण्डदान प्राप्त करके तृप्त हो गए। अब मुलताई की महिलाएं सीताजी की इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हर साल महाराज दशरथ का तर्पण करतीं हैं। शक्तिपीठ में वर्तमान में लगभग एक दर्जन से ज्यादा महिलाएं शामिल होती हैं। यूं तो श्राद्धपक्ष में पुरूषों द्वारा ही तर्पण किया जाता है लेकिन जिन दिवंगतों के पुत्र नहीं हैं उनका तर्पण कैसे हो। इसके लिए गायत्री परिवार द्वारा पहल की गई है। जिसके अंतगर्त महिलाओं द्वारा तर्पण कराने की सार्थक पहल शुरू करवाई गई है ताकि इन आत्माओं को भी मोक्ष मिल सके। गायत्री परिवार द्वारा हर साल महिलाओं द्वारा तर्पण कराया जा रहा है। श्राद्धपक्ष में महिलाएं सामुहिक रूप से शक्तिपीठ में तर्पण करती हैं।
महिलाओं द्बारा श्राद्ब करने पर शास्त्र में मत
शास्त्रों के अनुसार, जब कोई महिला विशेष परिस्थिति में परिवार के मृतक को मुखाग्नि दे सकती है तो फिर श्राद्ध क्यों नहीं कर सकती हैं…अक्सर देखा गया है कि परंपरागत रूप में श्राद्ध कर्म पुरूष ही करते हैं और इस कारण परंपरा बन गई है कि स्त्रियों को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। जबकि गरूड़ पुराण में उल्लेख मिलता है कि विशेष परिस्थिति में महिलाएं श्राद्ध कर सकती हैं। गरूड़ पुराण के अनुसार पति, पिता या कुल में कोई पुरुष सदस्य नहीं होने या उसके होने पर भी यदि वह श्राद्ध कर्म कर पाने की स्थिति में नहीं हो तो परिवार की महिला श्राद्ध कर सकती है। यदि घर मे कोई वृद्ध महिला है तो युवा महिला से पहले श्राद्ध कर्म करने का अधिकार उसका होगा। श्राद्ध के विषय में कहा गया है कि श्रद्धा से श्राद्ध होता है। इसलिए किसी व्यक्ति की केवल कन्या संतान है तो कन्या श्रद्धापूर्वक अपने पित्रों का श्राद्ध कर सकती है। कन्या द्वारा प्रदान किया गया श्राद्ध और पिण्ड भी पितृ स्वीकार करते हैं। पुत्र की अनुपस्थिति में पुत्रवधू भी पिण्डदान कर सकती है।
यह कहते हैं गायत्री परिवार के सदस्य
गायत्री परिवार के रामदास ग$ढेकर एवं रामदास देशमुख ने बताया कि जिन दिवंगतों पितरों के पुत्र नहींं हैं, सिर्फ पुत्रियां हैं, वे अपने पितरों का तर्पण कर सकती है। ताप्ती तट पर स्थित गायत्री मंदिर में प्ररिव्राजक द्वारा महिलाओं से सामूहिक तर्पण करवाया जाता है, गायत्री मंदिर में निशुल्क यह तर्पण करवाया जा रहा है।

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