इनकी मेहनत से ही निखरता है पात्रों का स्वरूप
सेठानी घाट पर जारी रामलीला महोत्सव में बिना मंच पर जाए भी निभा रहे अपनी आस्था
इनकी मेहनत से ही निखरता है पात्रों का स्वरूप
होशंगाबाद- सेठानी घाट पर जारी श्रीरामलीला महोत्सव के दौरान विभिन्न पात्र निभाने वाले कलाकार तो मंच पर बेहतर अभिनय कर लोगों को ध्यान आकर्षिक करते हैं। लेकिन आयोजन से जुड़े हुए कुछ ऐसे भी कलाकार हैं जो बिना मंच पर जाएं भी अपनी आस्था निभा रहे हैं। इन कलाकारों की मेहनत से ही पात्रों का स्वरूप निखरता है। वर्षों से रामलीला के दौरान पात्रों का श्रंगार करने वाले कलाकारों ने अपने अनुुभव साझा किए।
कलाकारों ने बताए अनुभव
नाम- हेमंत मालवीय
केप्शन- एलआईसी एजेंट का काम करने वाले हेमंत मालवीय ने बताया कि वे विगत 10 साल से रामलीला से जुड़े हैं। इससे पहले वे 20 साल तक एसपीएम में होने वाले आयोजन में पात्रों का श्रंगार करतेे रहेे हैं। मालवीय सभी पात्रों का श्रृंगार करते हैं।
नाम- रामगोपाल दुबे
केप्शन- शहर के व्यवसायी रामगोपाल दुबे ने बताया कि वे बीते 43 साल से रामलीला महोत्सव से जुड़े हुए हैं। दुबे की जिम्मेदारी सभी पात्रों की पगड़ी से लेकर पूरी पोशाख को दुरुस्त रखना है। इनकी मेहनत से ही पात्रों में ईश्वर की झलक दिखती है।
नाम- गुरुदत्त शर्मा
केप्शन- पात्रों के चेहरे पर कलर का कौन सा शेड रखना है। इस मामले में कलरों का संयोग किस हिसाब से किया जाए इसकी पूरी जिम्मेदारी सेवानिवृत्त नपाकर्मी गुरुदत्त शर्मा पर है। सभी पात्रों के लिए चेहरे पर भाव उभरकर आएं इसमें शेड की बड़ी भूमिका होती है।
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सीता ने लक्ष्मण रेखा के बाहर रखा पैर तो रावण ने किया अपहरण
वनवास के दौरान श्रीराम, सीता व लक्ष्मण के साथ पंचवटी में निवास कर रहे होते हैं। तभी वहां रावण की बहन शूर्पणनखा पहुंचती है। श्रीराम के आदेश से लक्ष्मण शूर्पणनखा की नाक काट देते हैं। वह इसकी सूचना खर और दूषण को देती है। श्रीराम खर-दूषण का वध कर देते हैं। इसके बाद शूर्पणखा अपने भाई रावण के पास जाकर उसे प्रसंग की सूचना देती है। रावण मारीच को स्वर्ण मृग बनाकर पंचवटी भेजता है। स्वर्ण मृग देखकर माता सीता श्रीराम को उसका वध करने का आग्रह करती हैं। श्रीराम मायावी स्वर्ण म्रग का पीछा कर उसे एक ही वहां से धराशाई कर देते हैं । मारीच मरते वक्त हा लक्ष्मण चिल्लाता है उसे सुन कर सीता जी के आदेश से पंचवटी की सीमा रेखा खींच कर लक्ष्मण प्रभु श्रीराम की सहायता के लिए जाते हैं उसी वक्त रावण साधु के भेष में माता सीता का हरण कर लेता है तभी आकाश में उड़ते समय रावण का गीधराज जटायु से युद्ध होता है , रावण जटायु का अपनी तलवार से एक पंख काट देता है। श्रीरामजी जब सीता जी को खोजते हुए आते हैं तब वह सीता जी का प्रसंग सुनाते हैं प्रभु श्रीराम जी जटायु को अबिरल भक्ति प्रदान करते हैं । आज की लीला में प्रद्युम्न दुबे ने राम ,अनिकेत दुबे ने लक्ष्मण , अक्षय मिश्रा ने सीता , अरुण तिवारी ने शूर्पणनखा , दीपेश व्यास ने खर दूषण और पुनीत पाठक , मनोज दुबे ने ऋषि मुनि की भूमिका निभाई ।
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