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होशंगाबाद

मध्यप्रदेश के इस क्षेत्र में बेतहासा खनन से नर्मदा में जगह-जगह नजर आने लगे टापू

नर्मदा नदी की तीन सहायक नदियां सूखी, चार माह में एक फीट पानी घटा

होशंगाबादApr 17, 2019 / 12:24 pm

poonam soni

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होशंगाबाद. नरसिंहपुर बेलाखेड़ी से होशंगाबाद तक नर्मदा बेसिन के २२० किमी क्षेत्र में गाडरवाड़ा की शक्कर, बनखेड़ी की दूधी और सोहागपुर की पलकमती नदी में एक बूंद पानी भी नहीं बचा है। जिसका सीधा असर नर्मदा पर पड़ा है। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार महीने में ही नर्मदा का जलस्तर 284.60 मीटर से लगभग एक फीट घटकर 284.30 मीटर पर आ गया है। नर्मदा में जगह-जगह टापू निकल आए हैं और घास व झाडि़यों के बेड बनते जा रहे हैं। जलस्तर घटने की एक महत्वपूर्ण वजह बेतहासा खनन को भी माना जा रहा है। बावजूद इसके आयोग के पास नर्मदा की बेहतरी के लिए कोई कार्ययोजना नहीं है।
पेयजल का संकट
जलस्तर घटने से नर्मदा के तटीय इलाकों में पेयजल समस्या का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। पीएचई विभाग के मुताबिक जिले में ५३८ हैंडपंप बंद हैं। इनमें ४२४ हैंडपंप बंद होने की वजह जलस्तर बताया जा रहा हैं। इसके अलावा होशंगाबाद, केसला, सोहागपुर, बाबई, पिपरिया, बनखेड़ी और सिवनीमालवा की २७ नलजल योजनाएं भी ठप पड़ी हैं। ईई एसके गुप्ता ने बताया कि जलसंकट से निपटने 301.70 लाख रुपए की कार्ययोजना बनाकर भेजी है। जिसे अभी स्वीकृति नहीं मिली है।
चार महीने में एेसे गिरा जलस्तर
जनवरी : 284.60 मीटर
फरवरी : 284.56 मीटर
मार्च : 284.38 मीटर
अपै्रल : 284.30 मीटर
नोट : जलस्तर 16 अप्रैल के मुताबिक
कम हो रही बारिश
2012-13 Ñ 1662.4 मिमी
2013-14 Ñ 1277.6 मिमी
2014-15 Ñ 992.6 मिमी
2015-16 Ñ 1005.1 çमिमी
2016-17 Ñ 1661.5 मिमी
2017-18 Ñ 973.6 मिमी
नोट : औसतन एक हजार मिमी बारिश की हर साल होती है जरूरत।
नर्मदा का जलस्तर गिरने की वजह से पानी के साथ काई, घास व कचरा आ रहा है। फिल्टर करने के बाद सप्लाई कर रहे हैं। पानी नहीं आने की सूचना मिलने पर टैंकर भेज रहे हैं।
आरसी शुक्ला, प्रभारी पेयजल प्रकोष्ठ नपा होशंगाबाद
नर्मदा की तीन सहायक नदियां सूख गई हैं। लगातार पिछले कुछ वर्षों से बारिश कम हो रही है। इसी वजह से जलस्तर घटा है। जलस्तर पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है। विभाग के पास अभी कोई कार्ययोजना नहीं है।
विपुल वर्मा, अनुविभागीय अभियंता केंद्रीय जल आयोग

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