घटना के बाद सोमवार को वन अमले का सर्चिंग दल जंगल में उतरा, लेकिन उसे बाघ नजर नहीं आया। विभाग के अशीष खापरे ने बताया कि दो अलग-अलग टीमों ने जंगल के आसपास सर्च किया है। लेकिन काफी दूर तक बाघ का कोई मूवमेंट नहीं मिला। इसके बाद देर शाम को भोपाल के सीसीएफ मनोज अर्गल ने घटना स्थल का निरीक्षण भी किया। सीसीएफ ने वन विभाग की टीम को ग्रामीणों को जंगल में जाने से रोकने के निर्देश भी दिए हैं।
रातापानी अभ्यारण से सटे सामान्य वनक्षेत्र के गांव खानाबड़ में रविवार सुबह बाघ ने एक 12 वर्षीय बालिका का शिकार कर लिया। बालिका अपने दो भाई बहनों के साथ मवेशियों को जंगल में चरवाहे को सौंपने जा रही थी। इसी दौरान बाघ ने उस पर हमला कर दिया। बालिका को बचाने के लिए उसके भाई बहन बाघ से भिड़ गए। उस पर पत्थर बरसाए और उसे बाघ के जबड़ों से खींच लाए। हालांकि हमले में बालिका की मौत हो गई। संघर्ष के बाद भी उसे बचा नहीं पाए।
रविवार सुबह रोजाना की तरह खानाबड़ में जंगल के पास ही रहने वाले सुरेश कुमार के तीनों बच्चे मुस्कान (16), नीतू (12) और छोटा बेटा मुकेश (7) मवेशियों को लेकर जंगल की ओर जा रहे थे। सुबह करीब आठ बजे घर से करीब 300 मीटर दूर ही बाघ ने नीतू की गर्दन पर हमला कर जबड़े से दबोच लिया। उसे घसीटता हुआ जंगल की ओर ले जाने लगा। नीतू को बचाने के लिए उसका भाई मुकेश और बहन मुस्कान बाघ पर पत्थर बरसाने लगे। बाघ ने नीतू जबड़े से छोड़ कर नीचे रख दिया, उसका ध्यान इधर-उधर होते ही मुस्कान ने नीतू को बाघ के मुंह के सामने से खींच लिया। इसके बाद मुस्कान ने नीतू को कंधे पर रखकर घर की ओर दौड़ लगा दी। मुस्कान ने बताया कि बाघ उनके पीछे तेजी से चला था, लेकिन बाद में वापस हो गया। बुदनी एसडीओ मनोज भदौरिया का कहना है कि बच्चों ने काफी हिम्मत का काम किया है, हम उनकी बाहदुरी के लिए पुरस्कृत करने की अनुशंसा करेंगे। पीडि़त परिवार को अंतिम संस्कार के लिए दस हजार दे दिए हैं। वहीं एसटीआर से इस बाघ की मॉनिटरिंग के लिए मदद मांगेंगे। अभी अवकाश होने के कारण उच्चाधिकारियों से संपर्क नहीं हो पा रहा है।