हरदोई के मत्तीपुर गांव निवासी कुलदीप और शिवम गांव में रोजगार की कमी के चलते वर्ष 2017 में हरियाणा चले गए थे। मगर लॉकडाउन के चलते उनकी रोजी-रोटी छिन गई और वे घर वापस लौट आए। काम करने की चाह में उन्हें अपनी पुरानी बंद पड़ी बेकरी को खोलने का आइडिया आया। दोनों भाईयों ने मिलकर इसे दोबारा शुरू किया। बेकरी चलाने के लिए उन्होंने कच्चा माल, मैदा, रिफाइंड, चीनी, यीस्ट आदि मिल ही गया और ब्रेड बनाना शुरू कर दिया। शुरुआत में 10-12 लोगों को जोड़कर काम शुरू किया। ये लोग लॉकडाउन में घर बैठे ब्रेड, रस्क, बिस्कुट उपलब्ध कराना शुरू कर दिया। कुलदीप और शिवम बताते हैं कि करीब 200 परिवार उनके कारोबार से जुड़े चुके हैं।
कुलदीप बताते हैं कि इस समय 700 से 1000 रुपये रोजाना बचते हैं। जो बेकरी में काम करते हैं उन्हें भी 500 रुपये रोजाना मिलते हैं। उन्होंने अपना पिछला अनुभव सांझा करते हुए बताया कि वे हरियाणा में एक पंखा बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे, जिससे उनकी ठीक आमदनी होती थी। मगर पिता गांव में अकेले थे। उन्हें हमेशा हमारी कमी महसूस होती थी। इसलिए उन्होंने हमें गाव में आकर काम करने को कहा। इसके लिए उन्होंने बेकरी भी खोली, लेकिन अकेले सब कुछ न संभाल पाने की वजह से बेकरी 8 महीनों में ही बंद हो गई, लेकिन पिता की यही चीज लॉकडाउन में उनके बेहद काम आई।