यादी जिस मंदिर को यह दान दिया उसी के बाहर ही वह भीख मांगते हैं। मंदिर प्रशासन ने यादी की सराहना की। यादी रेड्डी इससे पहले चार दशक तक रिक्शा चलाकर अपना जीवनयापन कर रहे थे। लेकिन घुटनों में दिक्कत की वजह से उन्हें यह काम छोड़ना पड़ा। उन्होंने बताया कि मैंने 40 साल रिक्शा चलाया है। सबसे पहले मैंने एक लाख मंदिर को दान किए।
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एक दिन जब मेरी तबीयत बिगड़ने लगी, तब मुझे पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत महसूस नहीं होती थी। ऐसे में मैंने मंदिर को ज्यादा पैसे दान करने का फैसला किया। रेड्डी का मानना है कि जब से उन्होंने मंदिर में दान देना शुरू किया, तभी से उनकी रोजाना होने वाली आमदनी में इजाफा हुआ।
रेड्डी ने कहा कि आज तक मैंने 8 लाख रुपये दिए हैं। मैंने भगवान को शपथ दी कि मैं अपनी सारी कमाई सर्वशक्तिमान को ही समर्पित करूंगा। रेड्डी के इस दान की सराहना करते हुए, मंदिर अधिकारियों ने कहा कि इससे मंदिर के विकास में उन्हें काफी सहयोग मिला है। हम यादि रेड्डी की मदद से एक गोशाला बनाने में सफल रहे हैं।