अब परिवार की परवरिश के लिए उनके पिता दोगुनी मेहनत करने लगे। धीरे-धीरे जीवन की गाड़ी फिर से पटरी पर आ गई। वे बताती हैं कि जब वे 11वीं की पढ़ाई कर रही थीं तभी उनके पिता जी को हार्ट अटैक आया और वे दुनिया को अलविदा कह गए। रातों-रात सब बदल गया। उनके चहेरे भाई बहनों को लगने लगा कि प्रॉपर्टी में अब उन्हें उनका हिस्सा नहीं मिलेगा। उन्होंने प्रॉपर्टी हड़पने के सारे रास्ते अपनाए। एक दिन उनको उनकी माता को और उनके छोटे भाई को उन्होंने घर से निकाल दिया और ज़बरदस्ती सबकुछ अपने नाम करवा लिया।
उनकी मुश्किलें बढ़ गईं उन्होंने उस दौर में यौन शोषण भी झेला। वे एक छोटे से घर में रहते थे उनका कहना है कि ‘मुझे शक है कि उन्होंने मेरी मां को ज़हर देकर मारा है।’ एक दिन अपनी तकलीफों से तंग आकर वे पुलिस के पास गईं और उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई लेकिन पुलिस ने भी कोई सुनवाई नहीं कि। अब उन्हें अपने पिता की सिखाई एक बात याद आई ‘कभी किसी पर निर्भर मत होना।’ यही सोचकर अब उन्होंने अपनी लड़ाई खुद लड़ने की ठानी। उनके पिता ने जो जमा पूंजी बचाई थी वो उन्होंने कानून की पढ़ाई करने में लगा दिए। और आज एक वकील हैं हालांकि वे अब तक अपनी लड़ाई जीत नहीं पाई हैं लेकिन वे कहती हैं- ‘मैं तब तक लड़ती रहूंगी जब तक मेरी जीत नहीं होती।’