विशेष रूप से भारत में माता-पिता, अपने बच्चों में बहुत अधिक निवेश करते हैं। बच्चे की शिक्षा से लेकर उनके सारे खर्च पर अपनी कमाई लगा देते हैं। अहमदाबाद में हुए इस मामले में अब इस संन्यासी शख्स को फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया है कि वह अपने माता-पिता को महीने के 10 हज़ार रुपए का भुगतान करे। फैमिली कोर्ट का कहना है, ‘वह बेटा है और इस रूप में उसकी ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपने माता-पिता का ख्याल रखे और वो इससे बच नहीं सकता।’
साल 2015 में धर्मेश गोल ने नौकरी छोड़कर संन्यास लेने का फैसला किया था। पढ़ाई करने के बाद धर्मेश को एक बड़े कॉर्पोरेट हाउस में नौकरी मिली थी जिसे ठुकराकर उसने संन्यास के लिया था। पिता का कहना है कि उन्होंने अपनी खून-पैसे की कमाई से धर्मेश को प्रतिष्ठित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मासूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च में पढ़ाया था और सोचा था कि बुढ़ापे में वह उनका सहारा बनेगा, लेकिन धर्मेश ने संन्यासी का चोला ओढ़ते हुए अपने माता-पिता से सारे नाते तोड़ लिए थे।