ऐसी परिस्थितियों के लिए ज़िम्मेदार वास्तुदोष घर के ईशान कोण (उत्तर पूर्व) और नैऋत्य कोण (दक्षिण पश्चिम) में मौजूद होते हैं। घर के इन दिशाओं का फर्श नीचा होना वास्तु पर बुरा प्रभाव डालता है। घर के इन ईशान कोण और नैऋत्य कोण वाली दिशाओं में ज़मीन के नीचे बनी पानी की हौद या बेसमेंट जैसी चीज़ें भी घर के वास्तु को प्रभावित करती हैं। वास्तुशास्त्री के अनुसार यदि घर का मेन गेट पश्चिम नैऋत्य कोण में बना हुआ है तो इससे घर का कोई पुरुष सदस्य द्वारा सुसाइड की संभावना बन सकती है। वहीं दूसरी ओर यदि का घर का मेन गेट दक्षिण नैऋत्य कोण में स्थित है तो घर की कोई महिला आत्महत्या कर सकती है।
घर के ईशान कोण में भी वास्तुदोष का हो सकता है। यदि किसी घर का यह कोण अंदर की ओर धंस जाए, गोलाकार हो जाए.. इसके अलावा घर की दक्षिण पूर्व दिशा में बनी दीवार पूर्व दिशा की ओर आगे बढ़ जाए तो ऐसी स्थिति में पुरुष सदस्य द्वारा आत्महत्या की संभावना होती है। तो वहीं दूसरी ओर यदि घर की उत्तर पश्चिमी दिशा में मौजूद दीवार का उत्तरी हिस्सा आगे बढ़ने की स्थिति में महिला द्वारा आत्महत्या की संभावनाएं हो सकती हैं।