दरअसल, एस्बेस्टस एक ऐसा पदार्थ है जो कई साल तक जस का तस बना रहता है। यह पदार्थ छोटे-छोटे रेशों ने मिलकर बना होता है। इसका एक रेशा केवल तीन माइक्रोमीटर मोटा होता है। साथ ही यह पदार्थ घुलनशील नहीं होता इसलिए फेफड़ों में लंबे समय तक बना रह सकता है। शरीर के भीतर जाने के दशकों बाद भी यह रेशा फेफड़ों के कैंसर ( cancer ) जैसी बीमारी पैदा कर सकता है।
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50 देशों में है प्रतिबंधितएक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एस्बेस्टस कनाडा सहित दुनिया के करीब 50 देशों में प्रतिबंधित है लेकिन इन देशों की कंपनियां अभी भी चीन , भारत और मैक्सिको जैसे विकासशील देशों को एस्बेस्टस का निर्यात कर रहे हैं। एस्बेस्टस के इस्तेमाल को लेकर लगातार हो रही वैज्ञानिक बहस के साथ-साथ एस्बेस्टस विकासशील देशों में अग्निरोधक छतों के निर्माण, पानी के पाइप और भवन निर्माण में इस्तेमाल किया जा रहा है।