Ayodhya Ram Mandir : विवाद के बाद मंदिर निर्माण पर लगा दी गई थी रोक, कारीगरों ने छोड़ दिया था काम
रजनीकांत नामक शख्स ने नहीं मानी थी हार आखरी दम तक तराशे थे पत्थर
नई दिल्ली। अयोध्या की रामजन्म भूमि को लेकर बरसों से विवाद चल रहा था। जिस पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगा दिया है। कोर्ट ने रामलला की भूमि पर उन्हीं का अधिकार बताया है। ऐसे में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मगर बताया जाता है कि कोर्ट का फैसले आने से पहले ही मंदिर का कार्य शुरू कर दिया गया था। इसके लिए करीब 1.25 लाख घन फुट पत्थर तराश भी लिए गए हैं।
अयोध्या पर फैसला : राम भूमि पर दिखेगी सोमनाथ मंदिर की झलक, ये है पीएम मोदी का मास्टर प्लान इस बात का दावा खुद विहिप ने किया है। उनके मुताबिक पत्थरों को तराशने का काम राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में साल 1990 से चल रहा है। विवाद के बाद इस पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी। इस दौरान कई कारीगरों ने भी काम छोड़ दिया था इसके बावजूद राम मंदिर निर्माण का कार्य कभी रुका नहीं। संगठन का दावा है कि मंदिर के एक मंजिल निर्माण के लिए पत्थरों को तराश लिया गया है। जबकि शेष ढांचे के लिए अभी करीब 1.75 लाख घन फुट पत्थर और तराशे जाने हैं।
कोर्ट के फरमान के तहत न्यास को राम जन्मभूमि की जिम्मेदारी अभी सौंपी गई है। न्यास के अनुसार पूरा राम मंदिर लाल पत्थरों से तैयार किया जाएगा। इसमें कोई लोहे का काम नहीं होगा। मालूम हो कि राम मंदिर निर्माण के पत्थरों को तराशने का काम रजनीकांत कर रहे थे। वे एकलौते ऐसे शख्स थे जो वर्षों से अकेले मंदिर के पत्थरों को तराशने में जुटे हुए थे। क्योंकि लेकिन कोर्ट के फैसले में हो रही देरी के चलते कई मजदूरों ने काम छोड़ दिया था। मगर राम मंदिर निर्माण में रजनीकांत का लगाव इतना था कि कई बार ढाई फीट के पत्थर को तराशने का काम वह खुद ही कर लेते थे। मगर सुप्रीम कोर्ट के आज के इस ऐतिहासिक फैसले को सुनने से पहले जुलाई महीने में रजनीकांत का निधन हो गया था।