इन तरह बन गए सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध ( Lord Buddha Inspiring things )
-गौतम बुद्ध पहले सिद्धार्थ थे और सामान्य परिवार से आते थे। उनकी जिंदगी में कई ऐसी घटनाएं हुई, जो उन्हें सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बना गई।
-वसंत ऋतु में एक दिन जब सिद्धार्थ बगीचे की ओर जा रहे थे। तभी सड़क पर एक बुजुर्ग आदमी जिसके दांत टूट हुए थे। शरीर से दुबला पतला और हाथों में लाठी पकड़े चल रहा था।
-दूसरी बार सिद्धार्थ कुमार बगीचे की ओर सैर पर निकले तो उन्होंने एक रोगी को देखा। उसकी सांस तेजी से चल रही थी। बांहें सूख हुई थीं और पेट फूल हुआ था। चेहरे पर पीला पन था। वह एक अन्य व्यक्ति के सहारे चल पा रहा था।
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-तीसरी बार जब सिद्धार्थ कुमार बगीचे की ओर जा रहे थे, तब उन्हें एक अर्थी मिली। जिसे चार आदमी उठाकर ले जा रहे थे। पीछे लोग रो रहे थे। यह दृश्य देख सिद्धार्थ बहुत विचलित हो गए।
-चौथी बार सिद्धार्थ बगीचे की सैर को निकले तो उन्हें एक संन्यासी मिला। संसार की सारी भावनाओं और कामनाओं से मुक्त प्रसन्नचित्त संन्यासी ने सिद्धार्थ को आकृष्ट किया।
-उनके मन ही मन जवानी को कोसा और कहा- धिक्कार है जवानी को, जो जीवन को सोख लेती है, शरीर को नष्ट कर देता है। क्या बुढ़ापा, बीमारी और मौत सदा इसी तरह होती रहेगी सौम्य? फिर वे संसार के मोह-बंधन से मुक्त होकर त्याग के रास्ते पर निकल गए और घोर तपस्या करके बुद्धत्व को प्राप्त किया।
उनकी कुछ प्रेरणादायक बातें ( Buddha Purnima Wishes in Hindi )
-शक बेहद भयावह होता है। ये जीवन को नष्ट कर देता है। लोगों को अलग कर देता है। पति-पत्नी, दो दोस्तों, दो प्रेमियों का प्रेम खत्म कर सकती है। इससे बचना चाहिए।
-एक दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है।
-इस संसार में कभी भी खुशी और सुख स्थाई नहीं हो सकते। बुरे समय का सामना कर रहे हैं तो आपको रोशनी की तलाश करनी चाहिए।
-आपके पास जो कुछ भी है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए। जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।
-क्रोधित रहना, किसी और पर फेंकने के इरादे से एक गर्म कोयला अपने हाथ में रखने की तरह है, जो तुम्हीं को जलाती है।
-अपने शरीर को स्वस्थ रखना भी एक कर्तव्य है, अन्यथा आप अपनी मन और सोच को अच्छा और साफ़ नहीं रख पाएंगे।
-तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे।
-सत्य के मार्ग पे चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है; पूरा रास्ता ना तय करना, और इसकी शुरआत ही ना करना।