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सांस के मरीजों के लिए वेंटिलेटर बना घातक, डॉक्टरों ने जताई चिंता

Ventilator for Corona Patients : न्यूयॉर्क और अमेरिका समेत कई देशों में वेंटिलेटर पर रखे गए कोरोना मरीजों के ज्यादा तादात में मरने की खबर सामने आई है
डॉक्टरों के मुताबिक सांस की तकलीफ वाले मरीजों को वेंटिलेटर सूट नहीं कर रहा है

नई दिल्लीApr 13, 2020 / 04:16 pm

Soma Roy

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Ventilator for Corona Patient

नई दिल्ली। कोरोना (Coronavirus) संक्रमण के बढ़ते कहर में मरीजों की जान बचाने के लिए जहां दुनियाभर में वेंटिलेटर की मांग बढ़ रही है। वहीं कई डॉक्टर्स इससे दूरी बना रहे हैं। उनके मुताबिक कई केस में यही वेंटिलेटर (Ventilator) मरीजों का जान का दुश्मन साबित हो रहा है। क्योंकि सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को कोरोना से बचाने के लिए वेंटिलेटर पर रखना घातक साबित हो रहा है। इससे कई लोगों की मौत हो चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर सांस की गंभीर तकलीफ वाले 40 से 50 फीसदी मरीजों की वेंटिलेटर पर मौत हो जाती है। क्योंकि वे आक्सीजन का अतिरिक्त दबाव झेल नहीं पाते हैं। न्यूयार्क के स्वास्थ अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि वेंटिलेटर पर रखे गए 80 फीसदी से ज्यादा कोरोना मरीजों की मौत हो रही है।
विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि क्या वेंटिलेटर वाकई कोरोना पीड़ितों के लिए काल बन रहे हैं। न्यूयार्क के गवर्नर एंड्रयू क्यूमो का कहना है कि निमोनिया के मरीज एक या दो दिन से ज्यादा वेंटिलेटर पर नहीं रहते। जबकि कोरोना संक्रमितों को जीवन रक्षक मशीन पर 10 से 15 दिनों तक रखना आम बात है, फिर भी उनकी जान जा रही है ये चिंता का विषय है। अमेरिका से भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे में डॉक्टर इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि वेंटिलेटर पर रखते ही मरीज की हालत इतनी गंभीर क्यों हो जा रही है।

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