रेल के इंजनों पर पहली बार 5 अगस्त 2016 को झंडे लगाने की शुरूआत हुई थी। इसके पीछे एक बेहद ही खास वजह भी है। अंग्रेज़ों के चंगुल से देश को आज़ाद कराने के लिए अपने प्राण त्याग देने वाले शहीद चंद्रशेखर आजाद के चाचा सुजीत आज़ाद और उनके बेटे अमित आजाद ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु से मुलाकात की थी। ये मुलाकात जून 2016 में हुई थी। आज़ाद के परिजनों ने तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु से मुलाकात कर शहीदों के नाम पर रेल चलाने का ज़िक्र किया था। इसके अलावा उन्होंने रेलमंत्री को सभी रेल इंजनों पर तिरंगा लगाने का भी सुझाव दिया था। हालांकि आजा़द के परिजनों ने राष्ट्रीय पर्व के मौकों पर ही तिरंगा लगाने की बात कही थी।
रेलमंत्री सुरेश प्रभु को सुजीत आज़ाद और अमित आज़ाद का ये सुझाव काफी पसंद आया। जिसके बाद उन्होंने रेल अधिकारियों को इंजनों पर तिरंगा लगाने के तत्काल आदेश दे दिए। मुलाकात के दो महीने बाद ही 05 अगस्त 2016 को रेलमंत्री ने देश के सभी रेल डिवीजन को इंजनों पर तिरंगा लगाने के आदेश जारी कर दिए। जिसके बाद हमारे देश के प्रत्येक रेल इंजन पर तिरंगा लगाया गया। हालांकि रेलवे, इंजनों पर तिरंगा लगाने के इस प्रोजेक्ट को पहले केवल 10 हज़ार इंजनों पर ही लगाने का प्लान बनाया था। लेकिन धीरे-धीरे ये देश के सभी इंजनों पर लगा दिया गया। देश के सभी रेल इंजनों पर 450 mm X 300 mm के झंडे लगाए गए हैं, हालांकि ये किसी-किसी इंजन पर अलग भी हो सकते हैं।