जिस क्लब के सदस्यों ने इस प्रतिमा को बनाया है उसने इससे पहले 25 फीट ऊंची मूर्तियों को नारियल, रुद्राक्ष, मीठी बूंदी के लड्डू, मौली के धागे और शंख के साथ बनाया। इन मूर्तियों की खासियत यह है कि वे पानी में नहीं डूबती हैं, और ऐसी चीज़ों से तैयार की जाती हैं जिसे आम लोग इस्तेमाल कर सकें।
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इस साल बेंगलुरु के पुट्टेंगल्ली गणेश मंदिर के पास कुल 9,000 नारियल में से 30 फीट ऊंची भव्य मूर्ति स्थापित की गई है। पिछले 20 दिनों से इस परियोजना पर काम कर रहे 70 से अधिक श्रद्धालुओं ने इको-फ्रेंडली मूर्ति लगाई है।
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मंदिर की सजावट के लिए नारियल के अलावा 20 से ज़्यादा प्रकार की सब्जियों का इस्तेमाल किया गया है। पिछले साल गन्ने से गणेश की मूर्ति बनाई गई थी। पर्यावरण के अनुकूल गणेश प्रतिमाएं बाजारों में भारी मात्रा में मिल रही हैं, जिससे खरीदारों में पर्यावरण को लेकर चेतना बढ़ रही है।