कोरोना: अब शाहरुख खान को नहीं करना पड़ेगा स्टंट, मुंबई पुलिस ने बताया शानदार तरीका नोबेल कोरोना वायरस (novel
coronavirus 2019) यानी कोविड-19 (covid 19) के पहले भी ऐसे वायरस आ चुके हैं। साल 2002 में चीन के ग्वांझो प्रांत में कोरोना जाती के वायरस की वजह से महामारी फैली थी। तब वैज्ञानिकों ने इस वायरस को सार्स (SARS) वायरस यानी सीवियर एक्यूट रेसपिरेटरी सिंड्रोम का नाम दिया था। इस बीमारी में लोगों को सांस लेने में तकलीफ़ होती थी।
सार्स भी जानवरों से शुरू होकर इंसानों तक पहुंच था। इस वायरस से दुनियाभर में 8000 से ज्यादा लोग संक्रमित थे। वहीं 800 से अधिक लोगों की जान जा चुकी थी। सबसे अहम बात सार्स 29 देशों में फैला था।
सार्स बीमारी के सामने आते ही दुनिया भर के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने में जुट गए थे। लेकिन तब तक सार्स महामारी पर काबू पा लिया गया और कोरोना वैक्सीन पर जारी तमाम रिसर्च बंद हो गए। इस महामारी के खत्म होने के लगभग 10 साल बाद एक और कोरोना वायरस ने दस्तक दिया। इसको मर्स-कोव (मिडल ईस्ट रेसिपेरिटरी सिंड्रोम) दिया गया। बताया गया की ये बीमारी ऊंटों से इंसानों तक पहुंची है।
कोरोना वायरस: डिलीवरी के तुरंत बाद ऑफिस पहुंचीं कमिश्नर, बच्चे को गोद में रख कर रही हैं ड्यूटी इसके बाद फिर से सभी देशों के वैज्ञानिकों में होड़ मची। और एक बार फिर सबने कोरोना वैक्सीन बनाने में जुट गए। लेकिन ये बीमारी बहुत ही जल्द खत्म हो गई। बीमारी के साथ ही और टीका तैयार करने वाले रिसर्च भी खत्म हो गए। लेकिन ह्यूस्टन में वैज्ञानिकों की एक टीम ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का काम जारी रखा।
इतना ही नहीं BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 उन्होंने वैक्सीन तैयार भी कर ली थी। लेकिन यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ ने इस वैक्सीन पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि ये वैक्सीन सार्स बीमारी के लिए थी। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे Sars-Cov-2 यानी नए कोरोना की वैक्सीन में मदद मिलती।
सार्स महामारी भी चीन से ही शुरू हुई थी लेकिन चीन ने इसपर काबू पा लिया गया था, इसलिए इस वैक्सीन पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक और पैसा जुटाने की स्थिति में नहीं रह गए थे और सब कुछ ठप्प हो गया।
कोरोना से हुई मौतों में भारत, चीन और अमेरिका से भी आगे, बिगड़ सकते हैं हालात! अब 18 साल कोविड-19 ने दस्तक दी है। ये वायरस उसी कोरोना परिवार का विषाणु है जिसने साल 2002 में सार्स महामारी को जन्म दिया था। वैज्ञानिकों ने इस नए कोरोना वायरस को Sars-Cov-2 का नाम दिया है। अब ये वायरस बहुत खतरनाक बनकर उभरा है। ऐसे में सभी के जहन में सिर्फ एक सवाल है कि आखिर कोरोना की वैक्सीन कब बनकर तैयार होगी?
कई वैज्ञानिकों का कहना है किSars और कोविड-19 दोनों ही विषाणु आनुवांशिक रूप से 80 फ़ीसदी समान हैं। ऐसे में अगर सार्स का टीका तैयार कर के परिक्षण कर लिया गया होता तो इससे कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में मदद मिल जाती और ये इतना वक्त भी नहीं लेता।
लेकिन सच तो यही है कि हमें कोविड-19 के लिए वैक्सीन में बनाने में 12 से 18 महीनों का समय लगने वाला है। और इसके बाद भी इसका दावा नहीं किया जा सकता कि ये कारगर हो।