इसी जगह पर 14 हजार फीट ऊंचाई पर लेह-मनाली नेशनल हाइवे पर देश का पहला आइस कैफे ( Ice Cafe ) बनाया गया है। यहां मसाला चाय, जिंजर-टी, बटर-टी और मसाला मैगी सर्व की जाती है। इसे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने चार लोकल युवाओं के साथ मिलकर बनाया है।
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यह लद्दाख के मीरू गांव के नजदीक है। यह कमाल का आइडिया मैकेनिकल इंजीनियर सोनम वांगचुक के प्रोजेक्ट से लिया गया है। जिसमें स्तूप बनाने के लिए एक पाइप का इस्तेमाल किया जाता है। ऊंचाई से आने वाले पानी में उछाल होता है। जब पानी लाइन के अंतिम सिरे पर लगे स्प्रे से निकलता है और सर्दी में बूंद के रूप में निकलते ही जम जाता है।
इस प्रक्रिया में एक कोन के आकार का बर्फीला स्तूप बनकर तैयार हो जाता है। इस कैफे को भी इसी के आधार पर तैयार किया गया है। कोन आकार के स्ट्रक्चर पर पानी गिराया जाता है जिससे एक पर्त-दर-पर्त बर्फ जमती चली जाती है। इसके अंदर काफी जगह की इंसान रेस्तां की तरह बैठ सकता है।
पर्यटक ( Tourist ) यहां मई 2020 तक यहां आ सकते हैं। इसके बाद यह पिघलना शुरू होने लगेगा। इस पूरे प्रोसेस में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि इसमें पानी बेकार न जाए, इसकी भी व्यवस्था की गई है। बर्फ पिघलने पर पानी को स्टोर किया जा रहा है जो कि सिंचाई के काम में लिया जाता है।
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लेह के अलावा यहां कुछ प्रमुख पर्यटन-स्थल जैसे, अलची, नुब्रा घाटी, हेमिस लमयोरू, जांस्कर घाटी, कारगिल, अहम पैंगांग त्सो, और त्सो कार और त्सो मोरीरी आदि भी हैं । इस इलाके की सुन्दर झीलें और मठ, मन को सम्मोहित कर देने वाले नज़ारें और पहाड़ की चोटियाँ यहाँ प्रकृति की सुन्दर छटा का दर्शन कराती हैं।