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Janmashtami 2020: वो जगह, जहां आज भी भगवान कृष्ण करते हैं रासलीला, छिपकर देखने वाले हो जाते हैं पागल!

वैसे तो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) देश भर में धूम धाम से मनाई जाती है लेकिन वृंदावन की जन्माष्टमी (Janmashtami of Vrindavan) की बात ही अलग है। इस जगह के बार में बताया जाता है कि यहां एक वन है जहां कान्हा आज भी रोज रात को रासलिला (Rasleela) करने आते हैं। इस वन का नाम निधिवन (Nidhivan) के नाम से जाना जाता है और ये काफी मशहूर भी है।
 

Aug 11, 2020 / 05:45 pm

Vivhav Shukla

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Janmashtami 2020: Do You Know Mystery Of Nidhivan

Janmashtami 2020: भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्योहार मनाया जाता है। हालांकि इस बार इस बार पंचांग के अनुसार अष्टमी की तिथि 11 अगस्त यानि आज सुबह 9 बजकर 6 मिनट से आरंभ हो रही है। अष्टमी की तिथि 12 अगस्त को सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रही है। 11 अगस्त को भरणी और 12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र है। इसके चलते इस साल कृष्ण जन्माष्टमी ( Krishna Janamashtami 2020) का त्योहार कहीं 11 तो कहीं 12 अगस्त को मनाया जा रहा है।
वैसे तो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) देश भर में धूम धाम से मनाई जाती है लेकिन वृंदावन की जन्माष्टमी (Janmashtami of Vrindavan) की बात ही अलग है। इस जगह के बार में बताया जाता है कि यहां एक वन है जहां कान्हा आज भी रोज रात को रासलिला (Rasleela) करने आते हैं। इस वन का नाम निधिवन (Nidhivan) के नाम से जाना जाता है और ये काफी मशहूर भी है।
क्या है रहस्य?

मान्यता है कि यहां श्रीकृष्ण और राधा (Sri Krishna and Radha) रोजाना आधी रात को यहां रास रचाते हैं। इसके बाद दोनों निधिवन (Nidhivan) परिसर में ही स्थित रंग महल में आराम करते हैं। यही वजह है कि रोज सुबह इस निधिवन (Nidhivan) को खोला जाता है और शाम को आरती के बाद इसे बंद कर दिया जाता है। दिन में यह जगह जितनी गुलजार रहती है, रात होते ही यहां इंसान तो दूर कोई जानवर भी कदम नहीं रखते हैं।
निधिवन में मौजूद पंडित बताते हैं कि हर रात भगवान श्री कृष्ण के कक्ष में उनका बिस्तर सजाया जाता है। दातुन और पानी का लोटा रखा जाता है। जब सुबह मंगला आरती के लिए पंडित उस कक्ष को खोलते हैं तो लोटे का पानी खाली, दातुन गिली, पान खाया हुआ और कमरे का सामान बिखरा हुआ मिलता है। बिस्तर भी ऐसा नजर आता है मानों कोई सोया रहा हो।
जो रास को देख लेता है वो पागल हो जाता है

पंडित बताते हैं कि यहां रात को किसी को रूकने की अनुमती नहीं है। यहां तक की कोई पंडित भी रात में यहां नहीं रूकता। वे बताते हैं जो रात में होने वाले भगवान श्री कृष्ण और राधा (Lord Shri Krishna and Radha) के रास को देख लेता है वो पागल या अंधा हो जाता है। इसी कारण निधिवन (Nidhivan) के आसपास मौजूद घरों में लोगों ने उस तरफ खिड़कियां नहीं लगाई हैं।
जिन मकानों में खिड़कियां हैं भी, वो शाम सात बजे मंदिर की आरती का घंटा बजते ही बंद कर लेते हैं। वहीं, इन सब बातें को जानते हुए भी अगर कई लोगों ने निधिवन की झाड़ियों में छिपकर भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहा, परिणाम के तौर पर या तो वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे या उनकी मौत ही हो गई।

अनोखे हैं पेड़

इन सब के अलावा यहां मौजूद पेड़ भी अन्य पेड़ों से अलग हैं। जहां आमतौर पर पेड़ों की शाखाएं ऊपर की ओर बढ़ती है। वहीं निधि वन में मौजूद पेड़ों की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती हैं। यहां के पेड़ इतने घने हैं कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडों के सहारे रोक गया है। कहा जाता है कि निधिवन (Nidhivan) में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा-कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं।

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