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कोरोना संकट के बीच आकाश में होने वाली है अद्भुत खगोलीय घटना, देखने लायक होगा नजारा

-लिरिड्स मेटियोर शॉवर ( Lyrid Meteor Shower 2020 ) नामक इस खगोलीय घटना को कन्जक्शन भी कहा जाता है।-इस अद्भुत घटना के दौरान आकाश ज्यादा चमकीला दिखाई देता है और आतिशबाजी जैसे नजारे दिखाई देते है।-Lyrid Meteor Shower 2020 in India : भारत में यह नजारा 21 से 23 अप्रैल के बीच देखा जा सकता है। इसे रात एक बजे के बाद देख सकते। इसका प्रकाश तड़के 2 से 4 बजे के बीच चरम पर रहेगा।
 

नई दिल्लीApr 16, 2020 / 06:25 pm

Naveen

Lyrid Meteor shower 2020: Amazing astronomical event in the sky tonigh

दुनिया में कोरोना ( Coronavirus ) संकट के बीच अप्रैल माह में चलने वाली अद्भुत खगोलीय घटना ( Astronomical Event ) की शुरुआत हो चुकी है। यह अद्भुत खगोलीय घटना 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक जारी रहेगी। पहले दिन मंगल, शनि और बृहस्पति एक सीध में होंगे। बृहस्पति चंद्रमा की दूर बेहद कम होगी। ऐसे में तीनों ग्रहों को साधारण आंखों से भी देखा जा सकेगा। लिरिड्स मेटियोर शॉवर ( Lyrid Meteor Shower 2020 ) नामक इस खगोलीय घटना को कन्जक्शन भी कहा जाता है। इस अद्भुत घटना के दौरान आकाश ज्यादा चमकीला दिखाई देता है और आतिशबाजी जैसे नजारे दिखाई देते है।

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16 अप्रैल से शुरू हुई घटना
American Meteor Society के अनुसार, यह घटना तब घटित होती है जब बृहस्पति, शनि, मंगल और चंद्रमा एक सीधे में आ जाते है। इस गतिविधि को लिरिड्स मेटियोर शॉवर ( Lyrid Meteor Shower ) कहा जाता है। 21 से 22 अप्रैल के बीच में मध्य रात्रि के दौरान आकाश में उल्का पिंडो की बारिश के कारण आसमान में आतिशबाजी जैसा नजारा होगा। इस घटना को किसी अंधेरे और शांत इलाकों से आसानी से देखी जा सकती है।

भारत में 21-23 अप्रैल को दिखेगा नजारा ( Lyrid Meteor Shower 2020 in India )
भारत में यह नजारा 21 से 23 अप्रैल के बीच देखा जा सकता है। इसे रात एक बजे के बाद देख सकते। इसका प्रकाश तड़के 2 से 4 बजे के बीच चरम पर रहेगा। आकाशीय घटना को सीधे आंखों से देख पाएंगे। accuweather.com के मुताबिक, प्रति घंटे 18 उल्काएं देखी जा सकती है।

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लिरिड्स 100 उल्काओं को फैलाने में सक्षम है। यह घटना 2020 के बाद 2280 से पहले नहीं दिखेगी। इनकी रफ्तार 177,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। लिरिड्स मेटियोर शॉवर के अलावा लेनोइड्स मेटियोर और गरमिनीड्स मेटियोर सिक नवंबर और दिसंबर में भी देखा जा सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक निकिल, कॉपर, आयरन आदि पदार्थों से बने उल्का पिंड सूर्य के चक्कर लगाते-लगाते सौर मंडल से बाहर आ जाते हैं और गुरुत्वाकर्षण शक्ति के चलते पृथ्वी की ओर खींचे चले आते हैं। इनकी रफ्तार की वजह से काफी चमकीले होते है। रात्रि में आसमान में आतिशबाजी जैसा नजारा दिखाई देता है।

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